उत्तराखंड सरकार देश के अन्य राज्यों में फंसे लगभग डेढ़ लाख प्रवासियों की सुरक्षित घर वापसी करावा रही है। सरकार ने अन्य राज्यों में फंसे उत्तराखंड के मूल निवासियों की घर वापसी के लिए केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी। आनलाइन और कॉल सेंटरों के माध्यम से 1.75 लाख प्रवासियों ने पंजीकरण करवाया है। सरकार ने अब इन सभी को वापस लाने के लिए बड़ा अभियान शुरू कर दिया है इसी कड़ी में पिछले दिनों चंडीगढ़ और गुरुग्राम से बड़ी संख्य में प्रवासी उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों से उत्तराखंड पहुँच चुके हैं।
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अब तक विभिन्न राज्यों से 23794 प्रवासियों को उत्तराखण्ड लाया जा चुका है। इनमें हरियाणा से 11482, चण्डीगढ़ से 4838, उत्तर प्रदेश से 3526, राजस्थान से 2409, दिल्ली से 482, पंजाब से 327, गुजरात से 319 और अन्य राज्यों से 411 लोगों का लाया गया है। शहरों में लॉकडाउन की मार झेल चुके सभी प्रवासियों में अपने गाँव की ओर लौटने पर चहरे पर मुस्कान साफ़ नजर आ रही है लेकिन हालात ऐसे है की गावों में इनका स्वागत करने और हाल समाचार लेने की बजाय इनका जबरदस्त विरोध किया जा रहा है। अब तक लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं जहां घर पहुंचे प्रवासियों को लगातार ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। अब इसे कोरोना वायरस का खौफ कहें या फिर इस महामारी के प्रति ग्रामीणों की जागरूकता या फिर कुछ और।
वैसे गावों में सामाजिक ताने-बाने के चलते ग्रामीण खुलकर तो प्रवासियों का विरोध करने से बच रहे हैं परन्तु गांव में जगह-जगह आपस में इन्हीं की चर्चाएं हो रही हैं। सबसे पहले तो गाँववालों के मुहं से आपस में यही निकालकर आ रहा है कि इस समय क्या जरूरत थी गाँव आने की, खुद तो सालों बाद गांव आये हैं और अब इस महामारी को भी अपने साथ लाए होंगे, अब इनसे हमें भी ये बिमारी फैलेगी। ये वाक्य प्रवासियों की भावनाओं को ठेस पहुचाने के लिए भी पर्याप्त है। कई जगह बीते दिनों तो ऐसे भी मामले सामने आये हैं जहाँ गांव वालों ने प्रवासियों को गाँव में घुसने ही नहीं दिया और गांव से बाहर ही क्वारंटाइन रहने के लिए कहा गया।