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सलाम है रिटायर्ड कैप्टन के जज्बे को, युवाओं में देशभक्ति का जज्बा जगाकर कर रहे सेना के लिए तैयार

देवभूमि उत्तराखंड में जौनसार के खत बाना में पड़ने वाले गाँव दुधौऊ के रहने वाले हैं सेवानिवृत्त कैप्टन चंद्र सिंह चौहान जो एक बहुत ही साधारण परिवार के रहने वाले हैं और अपनी शुरूआती जिन्दगी में तमाम तरह के संघर्षों को सहते हुए वो भारतीय सेना में 1982 में भर्ती हुए थे। पौड़ी गढ़वाल के लैंड्सडाउन में प्रशिक्षण लेने के बाद वो गढ़वाल राइफल में चले गये थे और अपने आर्मी जीवन के दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक काम किये जिनमे से पहला मौका था जब अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को चरमपंथियों ने अपने कब्जे में ले लिया था और उस दौरान भारत के द्वारा चलाये गये अभियान ब्लू स्टार में कैप्टन चंद्र सिंह चौहान भी शामिल थे जिनके प्रयासों के दम पर भारत चरमपंथियों को स्वर्ण मंदिर से खदेड़ने में कामयाब हुआ।

इसके बाद 1990 में जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में जब आतंकियों के शिविर की सूचना मिली तो 13 गढ़वाल राइफल्स ने इलाके की घेराबंदी कर सर्च आपरेशन शुरू किया इस आपरेशन में हवलदार चंद्र  सिंह चौहान को एक सेक्शन की कमान सौंपी गयी। गोलाबारी में आतंकियों ने एक हथगोला सेना की टुकड़ी पर फेंक दिया था पर हवलदार सीएस चौहान ने अपनी जान की परवाह किए बिना सूझबूझ से उसी ग्रेनेड को वापस आतंकियों के शिविर में फेंक दिया, जिसमें पांच आंतकवादी मारे गए। इस बहादुरी के लिए हवलदार सीएस चौहान को वर्ष-1999 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया।

अब आर्मी से रिटायर होने के बाद कैप्टन चंद्र सिंह चौहान एक और कार्य में पिछले 2 सालों से जुटे हुए हैं और वो काम है युवाओं में देशभक्ति का जज्बा जगाना और उन्हें सेना में जाने के लिए प्रेरित करना। इन पिछले 2 सालों के दौरान वो लगभग 400 युवाओं को इस काम के लिए प्रशिक्षण दे चुके हैं और वो भी ये सब वो बिना किसी शुल्क के कर रहे हैं और ख़ास बात ये है कि जो सबसे अहम बात कैप्टन सीएस चौहान युवाओं को सिखाते हैं वो है अनुशासन में रहना जो कि भारतीय आर्मी के लिए सबसे अहम है।

सेवानिवृत्त कैप्टन चंद्र सिंह चौहान कहते हैं कि उनका जिस बात पर सबसे ज्यादा ध्यान रहता है वो ये कि युवाओं में बढ़ते जा रहे नशे के चलन को रोका जा सके जिससे कि उनके भविष्य को संवारने में मदद मिल सके। युवाओं को सही राह पर ले जाना कहीं न कहीं हमारा फर्ज भी बनता है और उनमें हमें देशभक्ति का भाव भी जगाना आवश्यक है और अगर वो ये सब मेरे प्रशिक्षण से सीख जाते हैं तो उन्हें रोजगार के लिए भी नहीं भटकना पड़ेगा। पूरी देवभूमि सलाम करती है ऐसे सेवानिवृत्त कैप्टन चंद्र सिंह चौहान को जो प्रदेश के युवाओं को इस तरह का निशुल्क प्रशिक्षण देकर देश सेवा में लगे हुए हैं।


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