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आज तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट हो जायेंगे बंद, जानिये शीतकाल में कहाँ होंगे दर्शन

उत्तराखंड में हर जगह देवताओं का वास है और पूरे उत्तराखंड में जिन आराध्य भगवान की पूजा सबसे ज्यादा होती है वो हैं भोले बाबा क्यूंकि भगवान शिव ने यहीं हिमालय में सदियों तक अपनी तपस्या की है और फिर भोले बाबा में उत्तराखंड के सभी लोगों की सबसे ज्यादा आस्था है। बाबा केदार के जो उत्तराखंड में सबसे पूज्यनीय धाम हैं उनमें पंच केदार का नाम सबसे महत्वपूर्ण हैं ये पंचकेदार हैं केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर पूरे यात्रा सीजन में इन जगहों पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है चाहे वो उत्तराखंड के हों पूरे भारत के हों या विदेश सैलानी हों।

तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट आज सोमवार यानी 29 अक्टूबर को विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे, श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति और हक-हकूकधारियों द्वारा कपाट बंद करने की सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं। प्रात: लगभग 7 बजे से मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना भी शुरू कर दी गयी है, भगवान तुंगनाथ का श्रृंगार कर उन्हें भोग लगाया जा चुका है। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आराध्य की मूर्ति को धार्मिक अनुष्ठान और परंपराओं के निर्वहन के साथ चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान कर मंदिर परिसर में लाया जाएगा। इसके बाद सुबह 10.15 बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जायेंगे।

तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ चल विग्रह उत्सव डोली में मंदिर की परिक्रमा कर अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ (रुद्रप्रयाग) के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव चोपता पहुंचेंगे।  इसके बाद 30 अक्टूबर को डोली द्वितीय पड़ाव भनकुन गुफा में रात्रि विश्राम करेगी और फिर 31 अक्टूबर को अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में विराजमान हो जायेगी।


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