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देहरादून में एक मुसलमान भाई ने जिस कारण रोजा तोडा वो जानकार मुसलमानों से नफरत करने वालों को पड़ेगा दिल का दौरा

जैसा की आपको पता है की आज कल रमज़ान का महीना चल रहा है, जिसे मुस्लिम धर्म के अनुयायी बड़े हर्ष और उल्लाश से मनाते है। रमज़ान के महीने मे मुसलमान रोजा रखते हैं, इसमे सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ खाते-पीते नहीं हैं और थूक भी गले से नहीं उतारते. कहते हैं की रमज़ान के समय अच्छे कार्य करने चाहिए और बुराईओं से दूर रहना चाहिए। इसी बात को अच्छे समझने वाले एक मुस्लिम भाई ने अपना रोजा तोड़कर एक हिन्दू भाई की जान बचाकर इंसानियत की मिसाल दी है।

बात मैक्स अस्पताल में भर्ती अजय बिजल्वाण (20 वर्ष) के लड़के की है, जिसकी हालत बेहद गंभीर है और आइसीयू में है। अजय के लीवर में संक्रमण हो गया था जिससे अजय की प्लेटलेट्स मे बहुत कमी हो गयी थी जिसके लिए अजय को A+ ब्लड की बहुत जरुरत थी ब्लड ना मिलने पर जान को खतरा था। लेकिन अजय को काफी कोशिश करने पर A+ ब्लड नहीं मिला तो परिजनों ने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगो से मदद मांगी। जब व्हाट्सएप के माध्यम से नेशनल असोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान को पता चला तो उन्होने बिना समय गवाए मैक्स अस्पताल मे ब्लड डोनेट करने के लिए पहुँच गए। लेकिन जब उन्होंने ने बताया की उन्होंने रोजा रखा है तो डॉक्टर ने कहा ब्लड डोनेट से पहले कुछ खाना पड़ेगा, यानी रोजा तोड़ना पड़ेगा। तब बिना सोचे समझे आरिफ खान ने एक हिन्दू भाई अजय की जान बचाने के लिए अपना रोजा तोड़कर ब्लड डोनेट कर जान बचायी।

ब्लड डोनेट करने के बाद जब आरिफ से उनके इस कदम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा की,

“रमजान में जरूरतमंदों की मदद करने का बड़ा महत्व है। अगर हम रोजा रखते है और किसी की मदद नहीं करते है तो अल्लाह कभी खुश नहीं होगा। रमजान का असली उद्देश्य अच्छे कार्य करना है और अगर मेरे रोजा तोड़ने से किसी की जान बच सकती है तो मे इंसानियत को ही अपना सबसे बड़ा धर्म मानकर उस व्यक्ति की जान बचाऊंगा चाहे वो किसी भी मजहब का हो, मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।”


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