उत्तराखंड मे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक बार फिर देखने को मिली। दो दिन पहले स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण राजधानी देहरादून के दून हॉस्पिटल मे जच्चा बच्चा की मौत हुई थी। इस बार घटना उत्तरकाशी से है, जहाँ देर रात गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाते हुए 108 एम्बुलेंस का आधे रास्ते मे तेल खत्म हो गया, जिससे महिला को काफी परेशानी उठानी पड़ी। हालांकि परिजनो ने फिर फ़ोन करके निजी वाहन बुक कर महिला को जिला अस्पताल पहुचाया।
जानकारी के अनुसार, घटना उत्तरकाशी के डुंडा ब्लाक के थाती गांव की है। शुक्रवार की रात मनीषा पत्नी हीरा लाल को प्रसव पीड़ा हुई। जिसके बाद परिजनों ने 108 सेवा को फ़ोन करके बुलाया, जिसके बाद डुंडा से 108 सेवा थाती गांव पहुंची। उसके बाद जब 108 सेवा महिला और परिजनों को लेकर अस्पताल जा रही थी तो गांव से 15 किलोमीटर की दूरी पर पर 108 एम्बुलेंस का तेल खत्म हो गया। इसके बाद परिजनों ने फोन करके निजी टैक्सी का इंतजाम किया। टैक्सी के आने तक महिला प्रसव पीड़ा से बिलखती रही। 2 घंटे बाद जब टैक्सी पहुंची, तब जाकर महिला को जिला अस्पताल पहुँचाया गया।
इस घटना पर थाती गांव के प्रधान एवं प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गिरवीर परमार ने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं का दम भरती है और स्वास्थ्य सेवाओं के ये हाल है। वह तो शुक्र है जहाँ पर 108 एम्बुलेंस का तेल खत्म हुआ वहाँ पर मोबाइल नेटवर्क काम कर रहे थे, जिससे समय रहते दूसरी गाड़ी का इंतजाम हो पाया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी विनोद नौटियाल ने बताया कि इस घटना पर जिलाधिकारी ने शनिवार को उन्हें और 108 सेवा के कर्मचारियों को बुलाया था, जहाँ 108 के कर्मचारियों ने बताया वाहन मे तेल नहीं था क्योंकि शासन द्वारा पर्याप्त तेल डालने की धनराशि नही मिल रही है। इस संदर्भ में पहले भी उनके कार्यालय से शासन को पत्र भेजा था लेकिन उस पर कोई अमल नहीं हुआ।
वहीं 108 सेवा के राज्य समन्वयक मनीष कुमार ने बताया कि पिछले पांच माह से वाहनों में तेल के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं मिली है। पेट्रोल पंप में उधार भी बंद हो गया है। इस कारण यह दिक्कत आ रही है।
अब तो यही लग रहा है उत्तराखंड मे स्वास्थ्य विभाग राम भरोसे ही चल रहा है, सुविधाओं की कमी के कारण रोज कोई न कोई खबर आ रही है लेकिन राज्य के मंत्री और आला अधिकारियों की नींद अभी तक नहीं खुली।