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PM मोदी का ये अंदाज देख दीवाना हो उठा पूरा उत्तराखंड, ये PM तो पहाड़ी निकला बल

इस बात से तो पूरी दुनियां भली भांति परिचित है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से बोलते हैं उससे उनकी वक्तृत्व शैली की पूरी दुनियां दीवानी है, इसी कड़ी में कल यानी 7 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी उत्तराखंड में उत्तराखंड इन्वेस्टर समिट का उद्घाटन करने आये हुए थे और उद्घाटन करने के बाद जब मंच पर उनकी बोलने की बार आयी तो उन्होंने सबसे पहले बाबा केदार के चरणों में नमन करके अपने संबोधन की शुरुआत की। इसके बाद अपने शानदार संबोधन में उन्होंने जिस तरह से उत्तराखंड की बात कही ये सब देखकर ऐसा लगा कि वो गुजरात में नहीं बल्कि उत्तराखंड में ही पैदा हुए हों और यहीं पढ़ाई लिखाई करके उन्होंने अपनी शिक्षा ग्रहण की हो।

ऐसा हो भी क्यूँ न क्यूंकि आज से लगभग 38 साल पहले वो बाबा केदार के दर पर आये थे जब केदारनाथ के नजदीक गरुड़ चट्टी में रहकर उन्होंने तपस्या की थी इसके बाद जब जून 2013 में आपदा आयी थी तो उसके बाद केदारनाथ पहुँचने वाले वो देश के पहले नेताओं में थे। उस समय केंद्र की कांग्रेस सरकार को उन्होंने कहा भी था कि वो केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य करना चाहते हैं पर तबकि कांग्रेस सरकार ने वो प्रस्ताव ठुकरा दिया था पर जब केंद्र में वो प्रधानमंत्री बनकर आये हैं तबसे केदारनाथ में बहुत ही तेजी से काम हो रहा है।

इसके बाद जबसे उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार आयी तबसे यहाँ पर तेजी से काम होना शुरू हो गया है और ऐसा लगता है कि भले ही उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत सरकार हो पर कहीं न कहीं पूरा विजन प्रधानमंत्री मोदी का ही है। निवेशक सम्मेलन के जरिये औद्योगिकीकरण के नए युग का आगाज कर रहा है, तो प्रधानमंत्री ने अपनी बात को पूरा करते हुए सूबे के मुख्यमंत्री को विकास की नई दिशा दिखाई है, प्रधानमंत्री मोदी का पूरा संबोधन देश और खासकर उत्तराखंड में औद्योगिक निवेश की संभावनाओं पर ही केंद्रित रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड की इस दुविधा को एसईजेड (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) की नई परिभाषा गढ़ कर जाहिर तो किया, साथ ही नई राह भी दिखाई। उन्होंने एसईजेड को नया अर्थ देते हुए इसे ‘स्प्रिचुअल इको जोन’ का दर्जा दे दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 30 मिनट के संबोधन के दौरान कई बार बताया कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से संवेदनशील राज्य में किस तरह के उद्योगों के फलने-फूलने की संभावनाएं हैं, उन्होंने यह बताने में कतई गुरेज नहीं किया। उन्होंने उत्तराखंड की पारिस्थितिकी के लिहाज से मुफीद जैविक खेती को बढ़ावा और इसे एग्रो स्टेट का स्वरूप देने का सुझाव दिया तो उत्तराखंड के ऊर्जा प्रदेश बनने की उम्मीदों को भी इस दौरान पंख लगाये हैं। जलशक्ति का उल्लेख करते हुए उन्होंने हाइड्रो पावर की संभावनाओं के दोहन और इसमें सोलर पावर के भी शामिल होने पर यह तक कह दिया कि उत्तराखंड जल्द पावर सरप्लस स्टेट बनने की ताकत भी रखता है। प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड के युवा प्रदेश होने का उल्लेख करते हुए कहा कि औद्योगिक विकास में यहां के पढ़े-लिखे नौजवान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।


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