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उत्तराखंड में हुआ 57.85 फीसदी मतदान लोकतंत्र का मुहं चिढ़ा रहा है, जानिये सबसे बढ़ा कारण

साहब भले ही आप इस बार उत्तराखंड में विपक्षी पार्टी से अधिक सीटें अर्जित करते हुए दिख रहे हों, और हो सकता है कि पूरे भारत में भी यही स्थिति बने, पर उत्तराखंड में हुआ 57.85 फीसदी मतदान लोकतंत्र का मुहं चिढ़ा रहा है। भारत को आजाद हुए लगभग 72 साल हो चुके हैं और आजतक कभी भी मतदान प्रतिशत 65 फ़ीसदी से ज्यादा नहीं हो पाया है इसका आपको क्या सबसे बढ़ा कारण नजर आता है?

मुझे तो सबसे बढ़ा और भायावह कारण जो नजर आता है वो यही कि पूरे भारत में अधिकाँश लोग अपने गाँव या शहर से दूसरी जगहों पर रहते हैं और वो वहां वोट नहीं कर सकते हैं। इस बार मैं भी वोट करना चाहता था पर यही एक कारण है जो मेरे मार्ग में भी बाधा बना। आपने क्यूँ नहीं पिछले 5 सालों में ऐसी कोई कोशिश की जिससे मदतान प्रतिशत बढ़ सके? कुछ तो ऐसा सिस्टम बनना चाहिए था कि व्यक्ति अपने घर को छोड़कर बाहर कहीं भी हो वो वहां भी लोकतंत्र का ये सबसे बड़ा महापर्व मना सके।

मेरा अपना आकलन ये कहता है की कल यानी 11 अप्रैल को जो भी लोग अपने घर या इलाके में मौजूद थे उनका मतदान प्रतिशत 90 फ़ीसदी से ज्यादा है और क्यूंकि पलायन उत्तराखंड का सबसे बढ़ा नासूर है और मेरे जैसे अधिकाँश युवा और परिवार रोजगार या अन्य कारणों की वजह से अपने गाँव-घरों में नहीं हैं तो इसी कारण यहाँ मात्र 57.85 फ़ीसदी ही मतदान हो पाया है।

हर बीतते चुनावों के बाद मन में ये टीस बढ़ जाती है कि काश सरकार ने पिछले 70 सालों में इसपर कुछ काम किया होता तो आज ये मतदान प्रतिशत 90 फीसदी से ज्यादा हो सकता था।


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