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अब उत्तराखंड की इस घाटी मे प्रकृति की सौंदर्यता का दीदार कर सकेंगे पर्यटक, सेना ने दी राज्य सरकार को अनुमति।

चीन सीमा से सटी बेहद खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण नेलांग घाटी को अब पर्यटकों के लिए खोला जा रहा है। आपको बता दें राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने क लिए उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी को अब ‘इनर लाइन’ से बाहर करवाने की योजना बना रही है, जिससे पर्यटक नेलांग घाटी आकर प्रकृतिक सौंदर्यता का आनंद ले सके। इसी सिलसिले मे राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने से बात की जिस पर सेनाध्यक्ष ने अपनी स्वीकृति दी है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया की जल्द ही इस विषय पर केंद्र को प्रस्ताव भेजा जायेगा।

आपको बता दें की १९६२ के भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार ने उत्तरकाशी के इनर लाइन क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी थी। जिसमे नेलांग घाटी भी शामिल है। हालांकि बाद में स्थानीय लोगों को वर्ष में एक बार धार्मिक कार्यों के लिए वहां जाने की इजाजत दी गई or पिछले साल प्रशासन की अनुमति से पर्यटक नेलांग घाटी जा सकते हैं, लेकिन वे वहां रात को नहीं रुक पाएंगे।

नेलांग घाटी की समुद्र तल से ऊंचाई 11000 फीट है। वर्षभर यहां बर्फ की चादर बिछी रहती है जिस कारण यहां पर वनस्पति नहीं है, इसलिए नेलांग घाटी को पहाड़ का रेगिस्तान भी कहा जाता है। इस घाटी में दो नदी बहती हैं और यहाँ से तिब्बत का पठार भी देखा जा सकता है। नेलांग घाटी, लद्दाख से भी बेहद खूबसूरत है। मार्च से मध्य जून और सितंबर से अक्तूबर तक का समय नेलांग घाटी जाने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है।

जानकारी के लिए आपको बता दें “इनर लाइन” दूसरे देशों की सीमाओं के नजदीक स्थित वह क्षेत्र, जो सामरिक दृष्टि से महत्व रखता हो। इस क्षेत्र में सिर्फ स्थानीय लोगों को ही जाने की अनुमति है। विदेशी सैलानियों को वहा जाने के लिए प्रशासन से ‘इनर लाइन परमिट’ लेना अनिवार्य होता है। इसके बाद भी वह निश्चित सीमा तक ही इनर लाइन क्षेत्र में घूम सकते हैं, लेकिन रात को वहाँ रुक नहीं सकते। उत्तराखंड में उत्तरकाशी के अलावा चमोली व पिथौरागढ़ जिलों में भी चीन सीमा से लगे इनर लाइन क्षेत्र हैं।

 


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