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निर्जन गाँव को गोद लेकर सांसद बलूनी ने पेश की मिसाल, पहाड़ के लिए काम का ये जज्बा देखने लायक

उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद हैं अनिल बलूनी और सांसद बने हुए अभी उन्हें कुछ ही समय हुआ है पर छोटे से इस समय में ही जिस लगन और मेहनत से वो उत्तराखंड के विकास के लिए काम कर रहे हैं वो वाकई में तारीफ़ के लायक है और साथ ही अन्य नेताओं के लिए एक सबक भी कि किस तरह पहाड़ का विकास किया जा सकता है। अभी कुछ समय पहले की ही बात है जब सांसद अनिल बलूनी के प्रयास ही गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ने वाली नयी ट्रेन दून-नैनी शुरू की गयी थी और 2-4 दिन पहले ही पहाड़ के लिए एक और काम करते हुए उन्होंने बताया था कि अब पहाड़ों में जो भी आर्मी के हॉस्पिटल हैं वहां पर आम जनता का भी इलाज किया जाएगा।

इन सब कामों के बाद अब सांसद अनिल बलूनी ने एक और मिसाल पहाड़ों के लिए पेश की है और वो ये है कि उन्होंने पोड़ी जिले के अंतर्गत दुगड्डा ब्लॉक के एक निर्जन गाँव बौर को गोद लेने का साहसिक फैंसला लिया है। इस गाँव में साल 2001 तक 18 परिवार होते थे पर आज के समय में ये पूरा निर्जन हो चुका है। अब सांसद का सपना है कि वो इस गैरआबाद गाँव को मॉडल गाँव के रूप में विकसित करेंगे और इसे फिर से आबाद किया जाएगा इस गांव को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए मूलभूत सुविधाओं जैसे सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और रोजगार से जोड़ा जाएगा जिससे कि गांव को पूर्व के स्वरूप में फिर से आबाद किया जा सके। इस काम के लिए शीघ्र ही इस गांव के प्रवासियों के साथ सांसद अनिल बलूनी एक बैठक करेंगे।

अनिल बलूनी ने इस मौके पर कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में पलायन की समस्या काफी भयावह हो गयी है और अनेक गाँव धीरे-धीरे खाली होते जा रहे हैं जिसके कारण देवभूमि की महान संस्कृति विलुप्त होती जा रही है और इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम पहाड़ की विशिष्ट संस्कृति और परम्परा को फिर से एक नाम दिला सकें। इसी कड़ी में गैरआबाद गांवों को फिर से आबाद करना एक मील का पत्थर है इस कड़ी में गौर गांव पहला नाम है इसके बाद अन्य गैर आबाद गांव को भी इसी मॉडल पर आबाद करने के प्रयास किए जाएंगे। हमारा लक्ष्य है कि नौजवान रोजगार के लिए गाँव छोड़कर बाहर जाने को मजबूर न हो उन्हें यही रहकर रोजगार दिलाया जाए जिससे रिवर्स माइग्रेसन को बल मिलेगा। इस पूरे काम के लिए उन्होंने कार्ययोजना तैयार कर ली है जिसके लिए उत्तराखंड के प्रवासी परिवारों और विभिन्न संगठनों के साथ बात की जायेगी जहाँ उनकी समस्या और मांगो को हल करने का प्रयास किया जाएगा।

 


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