देवभूमि में मीठे जहर यानी शराब से अब तक 25 लोगों की जान जा चुकी है। शराब ने कइयों के घर उजाड़ दिए, मासूमों के सिर से बाप का साया छिन गया। हादसा ऐसा था कि हर तरफ चीख पुकार मच गई। हर तरफ मातम और चीख पुकार ने लोगों के दिलों को दहलाकर रख दिया। दु:खद यह था कि इन सभी मौतों के पीछे एक ऐसी बुराई कारण बन गई, जिसके खिलाफ क्षेत्र की महिलाएं आंदोलन कर अधिकारियों को चेताती रहीं, लेकिन उन पर फर्क नहीं पड़ा। मरने वालों में ज्यादातर 25 से 45 वर्ष के लोग हैं। शुक्रवार की सुबह दर्जनों परिवारों के लिए मौत की काली परछायी लेकर आई। गहरे दुख में डूबे परिजन अपनों की लाशों को अपने ही हाथों ढो रहे थे। कोई अस्पताल के पीएम हाउस से शव को लेकर जा रहा था तो कोई अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे परिजनों की जिंदगी बचाने के लिए दुआ कर रहा था।
बिंडुखड़क गांव में एक ही दिन में पांच लोगों की मौत ने मानो वज्रपात कर दिया था। बाल्लूपुर में भी एक साथ तीन मौतों ने गांव को दहलाकर रख दिया। इन सभी मौतों के बाद परिवारों की रोजी रोटी का जरिया छिन गया। महिलाओं के मांग का सिंदूर उजड़ा तो मासूमों के सिर से बाप का साया उठ गया।
बाल्लुपुर गांव में 35 वर्षीय ज्ञान सिंह की जहरीली शराब पीने से हुई मौत के बाद उसकी पत्नी मुकेश देवी का रो रोकर बुरा हाल था। कुछ यही दर्द अन्य परिवारों की महिलाओं बच्चों, भाइयों और अन्य परिजनों के दिलों में भी था। लेकिन अब इससे भी बड़ा सवाल यह है कि इतने लोगों की बलि लेने वाली इस शराब जैसी बुराई से लोग तौबा करेंगे. साथ ही क्या पुलिस प्रशासन पूर्व की लापरवाही से सबक लेगा। इस दुखद हादसे के बाद ग्रामीण यही चर्चा कर रहे थे कि अब बदलाव का समय आ गया है, इसके बाद गांवों में शराब की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।