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देवभूमि के बेटे विष्णु की कहानी, जिन्हें मिल चुका है भारत गौरव अवार्ड, अब जीतनी है शिवलिंग चोटी

उत्तराखंड में पहाड़ी जिले उत्तरकाशी के अंतर्गत आने वाले लदाड़ी गाँव के रहने वाले हैं विष्णु सेमवाल, जिन्हें बचपन से ही प्यार था अपने पहाड़ों से, उन्हें ये लगता था कि हिमालय हमेशा उन्हें अपने पास बुला रहा है। इसी का नतीजा है कि जब वो मात्र 14 साल के थे उसी समय से अपने भाई के साथ हिमालय के ट्रेक पर निकल गये थे और इसमें उनका पहला पड़ाव था गोमुख ट्रैक, और अब जब विष्णु सेमवाल 35 साल के हो गये हैं तो पिछले 21 सालों में वो 25 से अधिक हिमालय की चोटियों पर झंडा फहराकर देवभूमि उत्तराखंड का नाम रोशन कर चुके हैं।

विष्णु का मानना है कि महान हिमालय को समझने के लिए सदियाँ लग सकती हैं, पर हिमालय उन्हीं का साथ देता है जिनमे धैर्य होता है, साहस होता है और जो संवेदनशील होकर उसे समझना चाहते हैं। बात है साल 2011 की जब विष्णु 16 विदेशी पर्यटकों के साथ दुनियां के सबसे मुश्किल ट्रैक कालिंदी पास में फंस गये थे और मौसम खराब होने के कारण उन्हें 10 दिन तक वहीँ रहना पड़ा था, पर इस दौरान न तो विष्णु ने खुद का होंसला टूटने दिया और ना ही विदेशी मेहमानों का और इसी का नतीजा रहा कि 10 दिन बाद वो सभी को सुरक्षित वापस ले आये थे। इससे पहले अगर बात करें साल 2010 की तो तब भी विष्णु सेमवाल ने हिमालय में फंसे 8 पर्यटकों को खोज निकाला था और फिर उन्हें सुरक्षित बाहर भी निकाल लाये थे। उनकी इसी बहादुरी का नतीजा था जो तब उन्हें “भारत गौरव” अवार्ड भी दिया गया था।

विष्णु सेमवाल का अब हिमालय में नया लक्ष्य है हिमालय की शिवलिंग चोटी की परिक्रमा करने का जिसके लिए वो इस ट्रैक का निरीक्षण करने के साथ ही पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को प्रस्ताव भी दे चुके हैं। विष्णु के अनुसार कैलास-मानसरोवर की तर्ज पर 6543 मीटर ऊंची विश्व प्रसिद्ध शिवलिंग चोटी की परिक्रमा भी आसानी से की जा सकती है और वो इसकी प्लानिंग पिछले पांच साल कर रहे हैं। इस पूरे ट्रेक में 15 दिन का समय लगेगा और इस दौरान भागीरथी ग्रुप की तीन चोटियां, कीर्ति स्तंभ, थले सागर, भृगु पत्थर, खर्चकुंड, श्रीकैलास, सुदर्शन, थैलू, केदारडोम, चौखंभा ग्रुप की चार चोटियां, जोगिन ग्रुप की तीन चोटियां, कोटेश्वर, मात्री व मेरू ग्रुप की तीन चोटियों के अलाव 50 तक ऐसी चोटियों पर भी चड़ाई कर चुके हैं जिनका अब तक नामकरण भी नहीं हुआ है को पार करना होगा। चलिए हम सब भी कामना करते हैं विष्णु सेमवाल जल्द से जल्द ये परिक्रम पूरी करके देवभूमि उत्तराखंड का नाम रोशन करेंगे।

 


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