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कांवड़ यात्रा: रुड़की से नीलकंठ तक 60 किमी हाइवे मेला क्षेत्र घोषित… आम जनता से ये ख़ास अपील

श्रावण मास की कांवड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने जा रही है। कांवड़ यात्रा के लिए शिव भक्तों की आमद तीर्थनगरी में बढ़ने लगी है। कांवड़ यात्रा को लेकर पुलिस व प्रशासन ने भी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। शीघ्र ही कांवड़ मेला क्षेत्र के थानों में अतिरिक्त फोर्स भी पहुंच जाएगा। नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में शिव भक्तों के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है। तीर्थनगरी क्षेत्र धीरे-धीरे केशरिया रंग में रंगने लगी है। कोरोना काल में दो वर्ष तक बाधित रही कांवड़ यात्रा में इस वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। जिसको देखते हुए पुलिस तथा प्रशासन ने इस वर्ष विशेष रूप से तैयारियों को अंजाम दिया है।

रुड़की से नीलकंठ तक करीब 60 किलोमीटर हाइवे को मेला क्षेत्र घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में 38 पुलिस सर्किल बनाए गए हैं। पुलिस ने आम आदमी से इस क्षेत्र में नहीं आने की अपील की है। पहाड़ी जनपदों को जाने के लिए इसके अलावा मेरठ-बिजनौर-कोटद्वार और अन्य मार्गों का प्रयोग किया जा सकता है। मंगलवार को डीजीपी अशोक कुमार ने कांवड़ मेले की सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कांवड़ मेले की औपचारिक शुरूआत बृहस्पतिवार से हो रही है। हालांकि पूर्णिमा 13 जुलाई से ही मेले की शुरूआत हो जाएगी। दूर दराज के कांवड़ियों का आना शुरू हो जाएगा। इसके लिए सभी क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था के प्रबंध कर लिए गए हैं। बम निरोधक दस्ता, आतंकरोधी दस्ता, पुलिस फोर्स, घुड़सवार बल आदि तैनात कर दिए गए हैं।

रुड़की से लेकर नीलकंठ का 60 किलोमीटर हाइवे कांवड़ियों के आवगमन के लिए रहेगा। 13 से 27 जुलाई तक यहां पर अत्यधिक भीड़ रहेगी। लिहाजा, आम आदमी के लिए और पहाड़ी जिलों को जाने वालों के लिए अलग से रूट निर्धारित किए गए हैं। इसके लिए पहले से ही व्यवस्था की जानकारी जारी कर दी गई है। आम जनता से अपील है कि वह पहाड़ आने के लिए मेरठ-बिजनौर- कोटद्वार और मुजफ्फरनगर-देहरादून मार्ग का प्रयोग करें।


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