Home उत्तराखंड जीतू बगड्वाल- एक गढ़वाली बांका रण

जीतू बगड्वाल- एक गढ़वाली बांका रण

गढ़वाल रियासत की गमरी पट्टी के बगोड़ी गांव पर जीतू का आधिपत्य था। अपनी तांबे की खानों के साथ उसका कारोबार तिब्बत तक फैला हुआ था। एक बार जीतू अपनी बहिन सोबनी को लेने उसके ससुराल रैथल पहुंचता है। बहाना अपनी प्रेयसी भरणा से मिलने का भी है, जो सोबनी की ननद है। दोनों एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। जीतू बांसुरी भी बहुत सुंदर बजाता है। और..एक दिन वह रैथल के जंगल में जाकर बांसुरी बजाने लगा। बांसुरी की मधुर लहरियों पर आछरियां (परियां) खिंची चली आई। वह जीतू को अपने साथ ले जाना (प्राण हरना) चाहती हैं। तब जीतू उन्हें वचन देता है कि वह अपनी इच्छानुसार उनके साथ चलेगा। आखिरकार वह दिन भी आता है, जब जीतू को परियों के साथ जाना पड़ा। जीतू के जाने के बाद उसके परिवार पर आफतों का पहाड़ टूट पड़ा। जीतू के भाई की हत्या हो जाती है। तब वह अदृश्य रूप में परिवार की मदद करता है। राजा जीतू की अदृश्य शक्ति को भांपकर ऐलान करता है कि आज से जीतू को पूरे गढ़वाल में देवता के रूप में पूजा जाएगा। जीतू का वह सेरा आज भी सेरा मल्ली नाम से प्रसिद्ध है। अपनी लोक गाथाओ को शेयर जरुर करे !


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