लद्दाख क्षेत्र में चीन की घुसपैठ के बीच उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली और पिथोरागढ़ जिले से लगी भारत-चीन सीमा पर भी सेना और आईटीबीपी के जवान मुस्तैदी के साथ ड्यूटी दे रहे हैं। इस हिस्से में कभी चीन की ओर से घुसपैठ की कोई घटना नहीं हुई है। इसके बावजूद यहां पूरी सतर्कता बरती जा रही है। उत्तरकाशी जनपद में जिला मुख्यालय से करीब डेढ़ सौ किमी आगे चीन की 117 किमी सीमा लगी हुई है। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार ने सीमावर्ती नेलांग और जाढ़ूंग गांव को खाली करवा कर यह क्षेत्र सेना के सुपुर्द कर दिया था।
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भारत के साथ चीन की तनातनी के बीच चमोली से लगे चीन सीमा क्षेत्र में भी सेना की सतर्कता बढ़ गई है। हर रोज सीमा क्षेत्र की ओर सेना की आवाजाही बनी हुई है। मंगलवार को भी बड़ी संख्या में सेना के वाहन सीमा क्षेत्र की ओर गए। चमोली जिले में नीती और माणा घाटी चीन सीमा को जोड़ती हैं। यहां सेना ने अपनी गतिविधि बढ़ा दी है। पिछले दो माह से सीमा क्षेत्र में सेना की आवाजाही भी बढ़ी है। पिथोरागढ़ के लिपुलेख में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। मंगलवार को भारतीय जेट फाइटरों ने सीमा पर उड़ान भरी। सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने भी अग्रिम चौकियों में जाकर सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लद्दाख में चीनी सैनिकों की ओर से की जा रही उकसावे की हरकतों को देखते हुए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से सटी भारत-चीन सीमा पर लिपुलेख में भी सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से अलर्ट हो गईं हैं। लिपुलेख सीमा पर फिलहाल शांति है। चीन की ओर से किसी तरह की हरकत नहीं की गई है, लेकिन जिस तरह से लद्दाख में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक उकसावे की कार्रवाई कर रहे हैं, उसे देखते हुए यहां पर भी इस तरह के हालात से निपटने की पूरी तैयारी की गई है।