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ऐसे ही नहीं गाये जाते पहाड़ी महिलाओं के बहादुरी के किस्से, ये कहानी सुनेंगे तो आप भी करेंगे सलाम

एक तो पहाड़ और ऊपर से पहाड़ की औरत इन दोनों का हौसला न तो आज तक कोई तोड़ पाया है और न ही कोई कभी तोड़ पायेगा, पहाड़ की महिलायें अपने रोज की दिनचर्या में ही इतने कष्ट सह लेती हैं कि अगर कोई शहरी हो तो वो 2 दिन में ही भाग खड़ा हो। समय समय पर हमारे सामने पहाड़ की महिलाओं की बहादुरी के किस्से भी आते रहते हैं, ऐसा ही इनके जज्बे का किस्सा कल यानी 27 फरवरी की सुबह सुनाई दिया।

हम यहाँ बात कर रहे हैं नैनीताल जिले के कॉर्बेट नेशनल पार्क के समीप स्थित आमपोखरा रेंज के झिरना गाँव की। यहाँ की पांच औरतें रोशनी देवी, मुन्नी देवी, उमा देवी, साबी देवी और पुष्पा देवी आम दिनों की तरह जंगल में घास लेने गयी। वो सब आस पास में घास काटने लगी, उन्हें क्या पता था कि झाड़ियों के पीछे से एक बाघ उनपर घात लगाकर बैठा हुआ है, तो जैसे ही बाघ को मौका मिला उसने रोशनी देवी पर जोरदार हमला कर दिया, कुछ देर के लिए तो रोशनी देवी को कुछ समझ नहीं आया कि क्या करैं पर उसके तुरंत बाद वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी जिसके कारण पास की बाकी चारों महिलायें तुरन्त वहां पर आ पहुंची, अब उनके पास बाकी तो कोई हथियार था नहीं तो उन्होंने अपनी दरांती से ही बाघ को चारों और से घेर लिया और बाघ को ललकारा और उस पर हमला करने लगे, अब एक साथ चारों और से घिरे होने के कारण बाघ ने रोशनी देवी को छोड़ दिया और उन चारों की और बढ़ गया, मौका पाकर तुरंत रौशनी देवी भी अपनी दरांती लेकर घायल अवस्था में ही खड़ी हो गयी अब जब बाघ एक महिला की और बढ़ता तो बाकी चारों महिलायें उस को ललकारती, और उसके बाद 5-7 मिनट तक यही सब चलता रहा, उसके बाद मौका मिलते ही सभी ने उस पर हमला कर दिया जिससे बाघ ने वहां से भागने में ही भलाई समझी।

इसके तुरंत बाद बाकी की चारों महिलाओं ने रोशनी के पति ललित कुमार रावत और बाकी लोगों को जानकारी देकर तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ डॉक्टर ने बताया की रोशनी के पीठ और हाथ पर बाघ के पंजे के गहरे निशान हैं, पर वो खतरे से बाहर हैं, और जल्द स्वस्थ हो जायेगी। इस सारी घटना के दौरान पूरा वन विभाग मौन बैठा रहा उसने अस्पताल जाकर रौशनी का हाल-चाल तक जानने की कोशिश नहीं की है। पर ये  सारी कहानी जिसने भी सुनी वो इन पाँचों महिलाओं के जज्बे को सलाम किये बिना नहीं रह पा रहा है।