Home उत्तराखंड हिंदुस्तान की अंतिम दुकान मे चाय पीना ना भूलें

हिंदुस्तान की अंतिम दुकान मे चाय पीना ना भूलें

भारत के अंतिम स्थान पर होना ही स्वयं अपने आप मे ही एक विशेष गर्व की बात होती है आज हम बात कर रहे है हिंदुस्तान की आखरी दुकान की। बद्रीनाथ धाम से तीन किलोमीटर आगे माना गांव (मणिभद्रपुरम) हिन्दुस्तान की आखिरी चाय की दुकान है। इसके बाद समूचे इलाके में गश्त करते हुए फौजी ही फौजी नजर आते हैं। यहां से कुछ दूरी पर ही भारत और चीन की सीमा शुरू हो जाती है। बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने वाले ज्यादातर लोग हिन्दुस्तान की आखिरी दुकान तक जाते हैं। पिछले 25 साल से यह दुकान है, हालांकि अब चाय के अलावा अन्य खाद्य वस्तुएं भी पैकेट में मिल जाती है। साल में छह महीने यह दुकान खुलती है।
समुद्र तल से 10,248 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह भारतीय सीमा का अंतिम गांव है। माणा से 24 किमी दूर भारत-चीन सीमा है। 1962 के भारत-चीन युद्ध तक इस क्षेत्र के निवासियों के भारतीय नागरिक होने पर स्वयं भारत को संशय था, और माणा के भोटिया जनजाति निवासी जो मंगोल जाति के वंशज हैं, वे चीनी नागरिक समझे जाते थे। उन्हें भारतीय नागरिकता तक हासिल नहीं थी। तब यहां से 50 किमी दूर जोशीमठ के आगे से यहां पैदल आना होता था। माणा में स्थित अंतिम भारतीय दुकान चलाने वाले भूपेंद्र सिंह टकोला बताते हैं, कि इस सबके बावजूद भारत-चीन युद्ध में यहां के निवासियों ने चीन के दबाव और प्रलोभन को दर किनार कर भारतीय फौज का साथ दिया, और क्षेत्र को भारत में बनाए रखने में भूमिका निभाई।
इस आखिरी दुकान की और भी खासियत है। इसके बांयी ओर मां सरस्वती का प्राचीन मंदिर है और दांयी ओर सरस्वती नदी का उद्गम स्थल। बताया जाता है कि सरस्वती नदी की शुरूआत यहीं से हुई थी। यहां से लोग इस नदी का पानी भरकर अपने साथ लेकर जाते हैं। चूंकि चीन सीमा के नजदीक होने के कारण पहाड़ के एक ओर से झरने के रूप में पानी आता है, इसे मानसरोवर झील का जल मानकर भी लोग अपने साथ ले जाते हैं। हिंदुस्तान के बड़े बड़े मॉल ओर बिग बाजारों मैं अगर आप घूम गए हो तो एक बार हिंदुस्तान की आखरी दुकान पर जरूर पहुँचे।


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