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देहरादून में परिवार रहने के बावजूद भी गांव से नहीं तोड़ा कभी रिश्ता, पर अब यह ख्वाइस रह गई अधूरी

बृहस्पतिवार को श्रीनगर-जम्मू हाई-वे पर स्थित अवंतिपोरा इलाके में आतंकियों ने सीआरपीएफ के एक काफिले को निशाना बनाया। जिसमें 40 जवान शहीद हो गए हैं। और कई जवान घायल हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में हुए बड़े आतंकी हमले में उत्तरकाशी चिन्यालीसौड़ के बनकोट गांव निवासी वीर जवान मोहनलाल रतूड़ी की शहादत के बाद गांव गम और आंसुओं के सैलाब में डूब गया है। शहीद का परिवार देहरादून के कांवली रोड़ में रहता है, बच्चों को पढ़ाई के लिए परिवार को देहरादून ले जाने के बावजूद मोहनलाल ने गांव से नाता नहीं तोड़ा। आजकल वे गांव में अपना नया मकान बनवा रहे थे। इसकी देखरेख के लिए बीते दिसंबर में वे गांव आए थे। तब उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद गांव लौट कर खेती-बागवानी तथा समाजसेवा करने की इच्छा जताई थी।

गांव का मकान आपदा में क्षतिग्रस्त होने के बाद मोहन बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए परिवार को साथ लेकर देहरादून आये थे। उनकी बड़ी बेटी अनुसूया की तीन साल पहले ही पड़ोस के रौंतल गांव में शादी हो चुकी है, जबकि बड़ा बेटा शंकर, बेटी वैष्णवी, गंगा और छोटा बेटा राममूर्ति देहरादून में पढ़ाई कर रहे हैं। शहीद मोहन लाल अपने पीछे पत्नी सरिता देवी समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। गांव में रह रहे करीबी परिजन भी यह खबर पाते ही देहरादून रवाना हो गए। ग्रामीणों ने आतंकी हमले पर गहरा रोष जताते हुए सरकार से आतंकवादियों को करारा सबक सिखाने की मांग की। देहरादून से शहीद एएसआई मोहन लाल के भतीजे सूर्यप्रकाश ने शुक्रवार सुबह फोन पर उनकी शहादत की सूचना परिजनों एवं ग्रामीणों को दी। सूचना मिलते ही पूरे गांव में शोक छा गया।


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