भारत में आगामी लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने वर्ष 2019-20 के लिए अपना तीसरा बजट पेश किया है। इस बजट में लोक-लुभावन योजनाओं से किसानों, युवाओं, महिलाओं, वंचित वर्गों, सैनिकों-अर्धसैनिकों व कर्मचारियों समेत समाज के सभी वर्गों और राज्य के तकरीबन सभी क्षेत्रों को रिझाने पर काफी जोर दिया गया है। उत्तराखंड सरकार ने भी केंद्र की मोदी सरकार के एजेंडे पर चलते हुए अन्नदाता किसान को केंद्र में रखकर बजट में खेती-किसानी पर बड़ा दांव खेला गया। इसके अलावा जो दूसरा ख़ास काम इस बार के बजट में किया गया वो ये था कि आगामी वित्तीय वर्ष में जेंडर बजट 20 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। इसका उद्देश्य महिलाओं के विकास एवं सशक्तीकरण की योजनाओं के क्रियान्वयन पर इस पैंसे को खर्च किया जाएगा।
सरकारी बजट के लिंग आधारित परिणामों को ज्ञात करने के लिए बजट का विभक्तीकरण जेंडर बजट है। महिलाओं पर केंद्रित योजनाओं में सर्वाधिक बजट शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण के अलावा कृषि और अनुसंधान सेक्टर है। बीते वर्षों से किसानों को सस्ता ऋण मुहैया करा रही सरकार अब किसानों को व्यक्तिगत और स्वयं सहायता समूहों में ब्याजमुक्त ऋण देगी। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को बड़े गेम चेंजर के तौर पर देखते हुए सरकार ने इसके लिए 150 करोड़ बजट प्रावधान किया है। मतदाताओं के बड़े शहरी वर्ग में नगरों, निकायों में अवस्थापना सुविधाओं के ढांचे के विस्तार की बड़ी उम्मीदें जगाई गई हैं। देहरादून स्मार्ट सिटी के लिए 160 करोड़ और देहरादून-हरिद्वार-ऋषिकेश मेट्रो ट्रेन के लिए ढांचे के निर्माण को बजट में जगह दी गई है।
सोमवार को उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों की गैर मौजूदगी और एकमात्र विपक्षी निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार की मौजूदगी में सूबे की सरकार का तीसरा गुलाबी बजट पेश किया। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए कुल 48663.90 करोड़ का करमुक्त बजट पेश किया। इसमें 38932.70 करोड़ राजस्व लेखे और 9731.20 करोड़ पूंजी लेखे का व्यय अनुमानित है। सरकार ने प्रदेश के 92 निकायों समेत नए बनने वाले शहरों और अर्धशहरी क्षेत्रों में जनता को लुभाने के लिए सड़क, पुल, पेयजल, बिजली सुधार, शिक्षा में निर्माण कार्यों के लिए बड़ी धनराशि का प्रावधान किया है।