हाय रे पहाड़ तेरी पीड़ा, ये वो शब्द हैं जो आये दिन पहाड़ के दर्द को समझाने के लिए काफी होते हैं। इस बार एक नया मामला फिर सामने आया है जहाँ डॉक्टरों की संवेदनहीनता देखने को मिली है। यह पूरा मामला है चम्पावत जिला अस्पताल का जहाँ सोमवार को डॉक्टरों ने प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती को भर्ती करने से इनकार कर दिया। इस अनदेखी से मजबूर गर्भवती जिला अस्पताल की ओपीडी के पास नाली में बच्चे को जनने को मजबूर हुई। सुरक्षित प्रसव के बाद अस्पताल प्रशासन ने जच्चा-बच्चा को भर्ती कर लिया।
बात है चम्पावत से करीब 25 किमी दूर लफड़ा गांव की जहाँ के रहने वाले दिनेश राम ने सोमवार को अपनी गर्भवती पत्नी भावना देवी (38) को लेकर सुबह नौ बजे जिला अस्पताल पहुंच गए थे। दिनेश के मुताबिक महिला डाक्टर ने हाई रिस्क का हवाला देते हुए उनसे कहा कि गर्भस्थ शिशु को दस माह का समय हो गया है। लिहाजा जिला अस्पताल में प्रसव संभव नहीं है, महिला डॉक्टर ने गर्भवती को पिथौरागढ़ या चम्पावत के एक निजी अस्पताल में ले जाने की सलाह दी थी। इसके कुछ देर बाद ही गर्भवती को तेज प्रसव पीड़ा होनी शुरू हो गयी थी। दर्द से कराह रही गर्भवती ने ओपीडी के पास अस्पताल के पीछे नाली में बेटे को जन्म दिया।
नाली में बच्चे के प्रसव की सूचना मिलते ही जिला अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया। उसके बाद आनन फानन में महिला को लेबर रूम में भर्ती कराया गया। अब इस पूरे मामले पर सीएमएस चम्पावत का कहना है कि गर्भवती महिला की पहले ही पांच डिलीवरी हो चुकी हैं। बच्चेदानी कमजोर होने से हाई रिस्क केस था। जिला अस्पताल में गायनोकोलोजिस्ट नं होने से ऑपरेशन नहीं किया जा सकता था। लिहाजा उसे हायर सेंटर रेफर किया गया। प्रसव के बाद नवजात का शरीर नीला पड़ा था। बाद में जच्चा बच्चा का इलाज किया गया।