प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के अंतर्गत राशनकार्डों के शत-प्रतिशत डिजिटाइजेशन के खाद्य विभाग के दावे सवालों के घेरे में हैं। लंबे समय से 3.37 लाख अपात्र व्यक्ति लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत सस्ता खाद्यान्न योजना का लाभ ले रहे थे।
सख्ती बरती तो 86568 राशनकार्ड समर्पित कर दिए गए। अब भी 70 हजार से ज्यादा ऐसे राशनकार्ड हैं, जो काफी समय से खाद्यान्न नहीं उठा रहे हैं। अब इन पर नजर रखने की चुनौती विभाग के सामने है। इन्हें एनएफएसए से बाहर किया गया तो राज्य में 1.30 लाख से अधिक पात्र निर्धन और अति निर्धन परिवारों को खाद्य सुरक्षा का लाभ मिल सकेगा।
उत्तराखंड में एनएफएसए वर्ष 2013 में ही लागू कर दिया गया था। प्रदेश में तीन वर्षों से अधिक अवधि तक राशनकार्डों को डिजिटाइज करने का अभियान चला। इस अभियान का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा का लाभ पात्रों को ही देने और अपात्रों को योजना से बाहर का रास्ता दिखाना था।
राज्य के समस्त अंत्योदय, प्राथमिक परिवार और राज्य खाद्य योजना के 24,060,31 राशनकार्डों को शत-प्रतिशत डिजिटाइज किया गया। साथ में प्रत्येक राशनकार्ड में सम्मिलित यूनिट को आधार से लिंक भी किया गया। एनएफएसए के अंतर्गत ग्रामीण जनसंख्या के 75 प्रतिशत और शहरी जनसंख्या के 50 प्रतिशत को सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है।