Home उत्तराखंड उत्तराखंड की पहचान- बुरांस, जानिए औषधिक लाभ

उत्तराखंड की पहचान- बुरांस, जानिए औषधिक लाभ

उत्तराखंड की ख़ूबसूरती की दुनिया कायल है और इसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा देते है बुरांस के फूल! उत्तराखण्ड का राज्य वृक्ष बुरांश ही है! जल्द ही प्रकृति की सुंदरता को निखारने मार्च-अप्रैल से खिलने ही वाला है यह फूल। इसे अंग्रेज़ी मे (रोडॉडेंड्रॉन) कहा जाता है। बुरांस के फूल मुख्यतः समुद्र सतह से ५ से ८ हज़ार किलोमीटर की ऊँचाई वाले भूभागों पर पाए जाते हैं। उत्तराखंड के अलावा यह फूल हिमाचल की पहाड़ियों व नेपाल में भी पाए जाते हैं। हर साल बसंत का मौसम आते ही पहाड़ों के ऊंचे इलाके बुरांस के पेड़ों से लकदक हो जाते हैं।उत्तराखंड में बुरांस मार्च से अप्रैल के महीनो मे नज़र आते हैं। २ महीनो तक नज़र आने वाले यह ख़ूबसूरत फूलों की खिलने की प्रक्रिया मुख्यतः १५ से २० दिनो में पूरी हो जाती है। बुरांस लाल, गुलाबी व सफ़ेद रंगों का बी पाया जाता है! बुरांश दिखने मे ही सुंदर नहीं होता इस में कई लाभदाई गुण होते हैं। इसलिए ही प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में बुरांश को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

औषधिक लाभ

  • बुरांस के फूल का रस ( जूस ) हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत ही लाभदायक है साथ ही यह हृदय सम्बंधित विकारों को भी दूर करता है।
  • किडनी व लिवर जैसी समस्यो में भी बुरांस के रस को बेहद ही लाभकारी माना जाता है।
  • बढ़ती उम्र के साथ साथ हड्डियों के दर्द जैसी समस्या शुरू हो जाती है हड्डियों में होने वाले दर्द के लिए बुरांस बेहद गुणकारी है।
  • रक्त की कोशिकाओ को बढ़ाने के लिए बुरांस के रस का निरंतर सेवन करने से रक्त कोशिकाओ को बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • बुरांस के रस का निरंतर सेवन करने से शरीर में लौह तत्वों की पूर्ति की जाती है जिसके कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।