मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है, ये एक कहावत अगर आज किसी के लिए सबसे ज्यादा सटीक है तो वो है देवभूमि के बेटे मनोज सरकार के लिये। मनोज सरकार का जन्म नैनीताल जिले के रुद्रपुर के बंगाली कॉलोनी में एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम मनिंदर सरकार और माता का नाम जमुना सरकार है घर में इनके अलावा भाई मनमोहन और दो बहनें ललिता और सबिता थीं। मां जमुना सरकार बताती हैं कि मनोज जब डेढ़ साल का था, तो उसे तेज बुखार आया था और क्यूंकि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी तो जिसके कारण एक झोलाछाप डॉक्टर से इनका इलाज कराया गया।
दवाई खाने के बाद से उसके एक पैर में कमजोरी आनी शुरू हो गयी थी उसके बाद ऐसे ही जिन्दगी चलती रही पर मनोज का ढंग से इलाज नहीं हो पाया और घर में गरीबी इतनी अधिक थी कि मनोज अपने पिता के साथ छुट्टी के दिन दिन घरों में पुताई का काम भी करने लगा था और जब वो थोड़ा बड़ा हुआ तो ट्यूशन से खर्चे पूरे करने लगा। जब वो अन्य बच्चों को बैडमिंटन खेलता देखता था तो उसका भी मन करता था ये खेलने का पर हमारे पास रैकेट खरीदने तक के पैंसे नहीं थे पर खेतों में अधिक काम करने के बाद जो मेरे पास थोड़े से पैंसे आये उससे मैं मनोज के लिए रैकेट ले आयी थी।
इसके बाद 12वीं तक मनोज ने एक सामान्य खिलाड़ी के तौर पर तीन राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया था और फिर उसे अच्छा खेलता देख बैडमिंटन खिलाड़ी डीके सेन ने पैरा बेडमिंटन टीम में खेलने की सलाह दी। अपने शानदार प्रदर्शन के बल पर उसने जल्द ही नेशनल लेवल पर और फिर इंटरनेशन पैरा बैडमिंटन टीम में अपनी जगह बना ली और आज वो दुनियां का नंबर एक पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी है। इसी मेहनत का नतीजा है कि मनोज को अर्जुन अवार्ड मिला है जिससे पूरे राज्य को उन पर गर्व है। आजकल मनोज सरकार पैरा एशियन गेम की तैयारियों में जुटे हैं जो जल्द ही 6 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में खेले जायेंगे।