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उत्तराखंड कांग्रेस में भूचाल ले आयी ये रिपोर्ट, पिछली सरकार में पूरा 877 करोड़ का घोटाला

उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार को गये हुए अभी लगभग डेढ़ साल ही हो रहा है इस दौरान जब साल 2017 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए थे तो कांग्रेस की बहुत ही शर्मनाक हार हुई थी और इस हार के पीछे सबसे बड़ी वजहों में से एक वजह थी कांग्रेस शासन के दौरान हुए तमाम तरह के घोटाले। अब इन्हीं घोटालों को उजागर करती हुई एक रिपोर्ट  सामने आयी है जिसने प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने के साथ साथ ही कांग्रेस की पेशानी पर बल भी डाल दिया है। दरसल हुए ये कि उत्तराखंड कैग ने अपनी रिपोर्ट में एक बड़ा गड़बड़झाला पकड़ा है जिसमें 7 बड़े खुलासे किये गये हैं और ये सारे खुलासे तबके हैं जब उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी यानी ये सारे मामले 2012-13 से 2016-17 के दौरान के हैं।

कैग की ये रिपोर्ट उत्तराखंड में इन दिनों चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान प्रस्तुत की गयी और जिसमें ये खुलासा किया गया कि कांग्रेस शासन के दौरान प्रदेश में 877.65 करोड़ रुपये का गड़बड़झाला हुआ है। इस दौरान जब उत्तराखंड सरकार शौच मुक्त उत्तराखंड का दावा करती थी तो वो पूरी तरह से गलत था क्यूंकि केंद्र सरकार के पोर्टल पर जिन आंकड़ों को अपलोड किया गया उसमें एक लाख लाभार्थियों को शामिल ही नहीं किया गया था जिसने मोदी सरकार के स्वच्छ भारत मिशन और नमामि गंगे योजना पर एक बड़ा पलीता लगाया था। इस रिपोर्ट के अनुसार स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौच मुक्त दावे के बावजूद कई गांवों में आज तक भी शौचालयों का निर्माण नहीं हो पाया था। इस दौरान यह भी खुलासा हुआ की उत्तरकाशी से हरिद्वार तक 112 में से 65 गंदे नालों का सीवरेज (मल) सीधे गंगा और उसकी सहायक नदियों में ही बह रहा था।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने यह भी कहा कि शराब का उत्पादन करने वाली प्रदेश की तीन फैक्ट्रियों ने उत्तराखंड में पर्यावरणीय मानकों की धज्जियां उड़ाई थी और उनसे जुर्माना नहीं वसूला गया, जिसके कारण राज्य को 346.53 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के टैक्सी बिल घोटाले का भी इस दौरान पर्दाफाश हुआ है, क्यूंकि इस दौरान टैक्सी के नाम पर जो बिल प्रस्तुत किए गए थे वो स्कूटर और तिपहिया वाहनों के थे।

कैग के द्वारा किये गये अहम खुलासे–

  1. गंगा की सफाई के लिए 25 से 58 फीसदी बजट इस्तेमाल नहीं किया गया
  2. 132 ग्राम पंचायतों में 265 गांवों को खुले में शौच से मुक्ति का दावा गलत था
  3. स्वास्थ्य विभाग में 1.25 करोड़ का गबन, स्कूटर के नंबर पर टैक्सी के बिल बनाए गए थे
  4. खराब प्रबंधन की वजह से यूपीसीएस की वितरण हानि 240.91 करोड़ रुपये तक हुई थी
  5. बिजली परियोजनाएं समय पर बनाने में विफल होने से टैरिफ वृद्धि से हाथ धोना पड़ा था
  6. वर्ष 2017 में 50 प्रतिशत के सापेक्ष 14.71 प्रतिशत बसावटों को ही 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन मिला पानी
  7. 185 करोड़ की 20 योजनाओं को पूरा करने में 5 से 12 साल लगे जिससे एक बड़ा हुआ वित्तीय नुकसान प्रदेश को हुआ

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