पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चौबटिया में भारतीय फौज और अमेरिकी फौज के बीच युद्धाभ्यास चल रहा है, इस युद्धाभ्यास में भारतीय फौज की तरफ से गढ़वाल राइफल के जवान हिस्सा ले रहे हैं। इसी कड़ी में कल एक विशेष ट्रेनिंग की गयी और वो ये थी कि इस युद्धाभ्यास में लगभग कारगिल जैसी स्थिति को उत्पन्न किया गया जिसमें नीचे पहाड़ पर भारतीय फौज है तो पहाड़ की चोटी पर दुश्मन के बंकर मौजूद हैं जहाँ आतंकी घात लगाये बैठे हुए हैं। इसके बाद इस लगभग 2 किलोमीटर की ऊँची पहाड़ी पर ‘क्लिफ ऑफ असॉल्ट’ टेक्निक से भारतीय फौज के जवान चीते जैसी फुर्ती से और तीन दिशाओं से फायरिंग के जरिये एरिया को कवर करने में लगे हुए हैं इसके बाद खुद को बिना नुकसान पहुंचाये आतंकियों के बंकरों को तबाह करते हुए सभी आतंकियों को ढेर कर दिया जाता है।
युद्धाभ्यास के दौरान अपनाये गये इस ओपरेशन की ख़ास बात यह थी कि इसमें कारगिल जैसी विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ‘ओपरेशन माउंटेन अटैक’ के नाम से गढ़वाल राइफल्स के जाबाजों ने जो शानदार और जबरदस्त सैन्य प्रदर्शन किया उसने युद्धाभ्यास में हिस्सा ले रहे अमेरिकी सैनिकों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया। क्यूंकि इस दौरान गढ़वाल राइफल्स के जाबांज को रस्सियों के सहारे पहाड़ी व दर्रों को पार करने में केवल 15 से 20 मिनट का समय लगा जबकि ये दूरी लगभग 2 किमी के आसपास थी और फिर खुद को बिना नुकसान पहुंचाये जिस तरह से आतंकियों और उनके बंकरों को नष्ट किया गया वो वाकई बहुत शानदार था।
इस युद्धाभ्यास में जो अहम बात निकलकर सामने आयी वो ये थी कि भले ही अमेरिकी सैनिक अत्याधुनिक तकनीकी से लैस हैं पर फिटनेस और जमीन में जंग के मामले में पूरी दुनियां में भारतीय फौज का कोई मुकाबला नहीं कर सकता है। अमेरिकी सैन्य कमांडर एमजी विलियम ग्राहम ने भी यह माना कि टेक्निक और टेक्टिस के मामले में भारतीय फौज का कोई मुकाबला नहीं कर सकता है और जिस तरह से जमीनी जंग में दुश्मनों के खात्मे के लिए की जाने वाले ट्रेनिंग के द्वारा अमेरिकी सैनिकों को काफी कुछ सीखने को मिल रहा है। भारतीय सेना के ब्रिगेड कमांडर मेजर जनरल कवींद्र सिंह ने इस दौरान कहा कि निकट भविष्य में अगर अब कभी कारगिल जैसे हालात बने तो भारत उस ओपरेशन को बहुत ही सफलता से अंजाम देने में माहिर हो गया है।