शहीद कमल किशोर रियासी के ग्राम मोड़ के रहने वाले मोहनलाल के सुपुत्र हैं, कमल का पार्थिव शरीर बुधवार शाम को उनके घर पहुंचा, मोहनलाल की चार संतानों में तीसरे नंबर पर कमल किशोर वर्ष 2009 में पुलिस में कांस्टेबल भर्ती हुए थे। कमल के बड़े भाई जम्मू-कश्मीर पुलिस में तो बहन सीआइएसएफ में तैनात है, सुबह जैसे ही लोगों को शहादत के बारे में पता चला तो किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था। बेटे के पार्थिव शरीर से लिपट कर बिलख उठी शहीद की माता गीता देवी तथा पिता मोहनलाल को देख हर किसी की आंखें नम थी।
वरिष्ठ अधिकारी कमल किशोर को अभियान पर ले जाना चाहते हैं या नहीं उसने इस बात का इन्तजार बिलकुल भी नहीं किया और वह उस वाहन में सवार हो गया जो श्रीनगर में वर्ष 2018 का अब तक के दूसरे सबसे बड़े अभियान की तरफ जा रहा था। आधी रात पुलिस दल फतेहकदल के शेख अली अकबर मोहल्ले में पहुंच गया। आतंकियों ने जहां बसेरा बनाया था, पुलिस दल ने तुरंत उसकी घेराबंदी कर तलाशी शुरू कर दी। कमरों की तलाशी का अभियान शुरू कर दिया गया था, मकान मालिक और उसका परिवार बार-बार यह दावा कर रहा था कि अंदर कोई नहीं है, लेकिन खबरी की खबर पूरी तरह से पक्की थी। पुलिस दल ने मकान के ऊपरी हिस्से में एक ओर जैसे ही रुख किया अंदर छिपे आतंकियों ने फायरिंग शुरू करनी शुरू कर दी मुठभेड़ शुरू हो चुकी थी, थोड़ी ही देर में मकान ने आग पकड़ ली, आतंकियों की तरफ से गोलियों की बौछार जरूर बंद हो गई, लेकिन वे जिंदा थे।
कमल किशोर ने इस पर कहा कि बाहर इंतजार क्यों करें, अंदर जाकर देखते हैं, इतना कहकर वह उस कमरे की ओर चल पड़े जहाँ एक आतंकी मारा जा चुका था और दूसरा जिंदा था। जैसे ही कमल कमरे में दाखिल हुए तो वहां साथी की लाश के पास ही मरने का ढोंग कर लेटे आतंकी ने फायर खोल दिया। कमल समेत चार सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। कमल किशोर ने खुद घायल होने के बावजूद जख्मी साथियों का बचाव किया जिससे आतंकी भी जख्मी हो गया घायल कमल को साथियों ने वहां से निकालने और अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन कमल ने कहा कि साहब मैंने उसे गोली मार दी है, देखो इस बार नहीं बचना चाहिए। कमल को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें शहीद घोषित कर दिया पर तब तक वह श्रीनगर में नए जिहादियों की पौध तैयार कर रहे 10 लाख के इनामी आतंकी महराजुदीन बांगरु और फहद मुश्ताक का अंत कर चुके थे।