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कुर्सी पर संशय: भारत विरोधी बयानों के बाद आज होगा नेपाली पीएम ओली के भाग्य का फैंसला

भारत विरोधी बयानों और उत्तराखंड के कुछ सीमान्त इलाकों को नेपाल का अपना बताने के बाद भारत और नेपाल के सम्बन्ध इस समय इतिहास के अपने सबसे बुरे दौर में हैं| नेपाल लगातार ऐसी हरकतें कर रहा है जिससे साबित होता है कि वो अब भारत से दूर जाकर चीन की गोद में बैठने का मन बना चुका है| लेकिन इस बीच अब नेपाल की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की आज अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के भविष्य पर अहम निर्णय लिया जाएगा। भारत विरोधी टिप्पणी करने को लेकर प्रधानमंत्री पद से ओली के इस्तीफ़े की बढ़ती मांग के मद्देनज़र यह बैठक हो रही है।

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एनसीपी के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार को प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि उनकी हालिया भारत विरोधी टिप्पणी ना तो राजनीतिक रूप से सही है और ना कूटनीतिक रूप से उपयुक्त है। कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री आवास में बैठक की। तीन घंटे तक चली बैठक दोनों शीर्ष नेताओं के बीच विश्वास बहाल करने के लिए हुई। ओली के साथ बैठक के बाद प्रचंड ने नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की। प्रचंड ने कहा था, ”प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी कि भारत उन्हें अपदस्थ करने की साजिश रच रहा है, ना तो राजनीतिक रूप से सही है और ना कूटनीतिक रूप से उपयुक्त है।” प्रधानमंत्री ओली ने कुछ समय पहले दावा किया था कि उन्हे पद से हटाने के लिए दूतावासों और होटलों में विभिन्न तरह की गतिविधियां चल रही हैं।

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प्रचंड और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल ने विवादस्पद बयान देने को लेकर ओली से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा था। उन्होंने ओली से यह भी कहा था कि अपनी टिप्पणी को साबित करने के लिए वह सबूत पेश करें। अब आज एक अहम बैठक होने जा रही है, जिसमें चर्चा का मुख्य विषय ओली का भविष्य तय करना ही होगा। पार्टी की इस सबसे शक्तिशाली इकाई की गुरुवार को बैठक होनी थी, लेकिन शीर्ष नेताओं के बीच ओली के त्यागपत्र के मुद्दे पर सहमति न बन पाने के कारण इसे टाल दिया गया था।

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