इस बात से ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है कि कोई उदयीमान खिलाड़ी अपना खेल छोड़ने के लिए इसलिये मजबूर हुआ हो क्यूंकि उसे अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़े। गरीबी भी ऐसी कि जिसने खिलाड़ी का पहले मैदान और अब पढ़ाई से भी नाता तुड़वा दिया है। यह उदीयमान ऑलराउंडर अब मूक बधिर मां और चार परिजनों को पालने के लिए रोजाना 8-10 घंटे होटलों में मजदूरी करने को मजबूर है।
ये पूरा मामला है नैनीताल जिले के रामनगर स्थित ग्राम क्यारी निवासी जानकी मेहरा का क्रिकेट कॅरियर साल 2010 में अंडर-19 स्कूल से शुरू हुआ। जानकी मेहरा बेहतरीन बल्लेबाजी और गेंदबाजी भी करती थी इसी के दम पर वह 2010, 2011 और 2012 में उत्तराखंड की टीम से राष्ट्रीय मुकाबलों में उतरीं। इस दौरान उसकी टीम ने दिल्ली जैसी मजबूत टीम को बड़े अंतर से हराया। जानकी कहती है कि जीआईसी क्यारी में पढ़ाई के दौरान शिक्षक शैलेंद्र कुमार से सहयोग मिला था। सके चलते वह तीन बार नेशनल खेल सकी।
साल 2008 में पिता की मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। भाई की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, मां मूक बधिर है। जानकी मेहरा ने बताया कि वर्ष 2012 में इंटर पास करने के बाद कॉलेज में दाखिले के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। कुछ लोगों से मदद मांगी तो यह कहकर मना कर दिया गया कि कैसे लौटाओगे। जानकी के कोच शैलेंद्र ने बताया कि 2012 में जम्मू में आयोजित अंतरराज्यीय स्कूल टूर्नामेंट में मुकाबले में जानकी ने छत्तीसगढ़ के खिलाफ मैच में 4 विकेट लिए और 25 रन बनाये थे।