हर साल की तरह इस बार भी 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस को पूरा देश धूमधाम से मनायेगा, और दिल्ली के राजपथ पर इस बार उत्तराखंड की भी झांकी निकलेगी ये खबर से पहले ही देश गदगद है। और अब एक और खबर से पूरा उत्तराखंड बहुत खुश है| 26 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में हर साल की तरह राष्ट्रीय वीरता पुरुस्कार दिए जाते हैं और ये साल उत्तराखंड के लिए भी ख़ास होगा क्यूंकि इस बार राष्ट्रीय वीरता पुरुस्कार में उत्तराखंड का एक बहादुर बेटा भी है और ये है टिहरी जिले के नारगढ़ का रहने वाला बालक पंकज सेमवाल।
चलिए यहाँ अब हम आपको पंकज की वीरता की कहानी बताते हैं बात है 2016 के एक शाम की पंकज की माँ और उसके छोटे भाई बहनों पर बाघ ने अचानक हमला कर दिया और माँ उसके बाद जोर से चिल्लाने लगी जैसे ही पंकज ने ये बात सुनी वो दौड़कर वहां पहुंचा और बाघ से दो दो हाथ करने लगा और उसने पास में रखे डंडे से गुलदार पर ताबड़तोड़ वार करने शुरू कर दिए, इसके बाद बाघ दर गया और माँ और उसके छोटे भाई बहनों को छोड़कर भाग गया और इस तरह उन सभी की जान बच पायी| पंकज के पिता बहुत पहले ही गुजर चुके हैं, और उसकी माँ खेतीबाड़ी करके उन सबका गुजारा करती है और पंकज भी ट्यूशन पड़ाकर अपनी माँ का हाथ बंटाता है।
और अब इस गरीब परिवार के बच्चे पंकज सेमवाल को राष्ट्रपति वीरता पुरुष्कार देंगे जिस ख़ुशी से पूरा परिवार फूला नहीं समा रहा है। राष्ट्रीय बाल कल्याण परिषद ने सभी राज्यों से वीर एवं पराक्रमी घटनाओं से जुड़े बच्चों के नाम मांगे थे, इनमे से उत्तराखंड से दो नाम भेजे गये थे जिनमे से पंकज सेमवाल का चयन किया गया है ये सारी बात परिषद के महासचिव केपी भट्ट ने बतायी। उत्तराखंड बाल कल्याण परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुशील चंद्र डोभाल ने कहा कि पंकज सेमवाल प्रदेश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं| वैसे अभी तक उत्तराखंड के 10 वीर बच्चों को राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।