ये पूरी घटना है आज से ठीक एक साल पहले यानी 14 जून 2018 के जब बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण बने हुए थे। बॉर्डर पार पाकिस्तान से लगातार आतंकी घुसपैठ हो रही थी, एक दिन पहले यानी 13 जून 2018 को जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए भारत ने अपने चार जवान खो दिए थे। फिर 14 जून को भी जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में आंतकियों ने घुसपैठ कर दी थी उसके बाद बॉर्डर पर सेना के जवानों ने भी मोर्चा संभाल लिया था, दोनों ओर से जबरदस्त गोलियां चलनी शुरू हो गयी थी और फिर सेना को इस लड़ाई में बड़ी सफलता हाथ लगी जब रुद्रप्रयाग जिले के मानवेन्द्र और उनके साथियों ने मिलकर 2 आतंकियों को ढेर कर दिया था।
पर आतंकियों और जवानों के बीच चली इस जबरदस्त गोलाबारी में दो गोली जवान मानवेन्द्र को भी लग गयी जिसके बाद वो आतंकवादियों से लड़ते हुए देश के लिए शहीद हो गये हैं। शहीद मानवेन्द्र सिंह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कबिल्ठा गाँव के रहने वाले थे। मानवेन्द्र जब मुठभेड़ पर जाने वाले थे उससे पहले दिन की शाम को लगभग 8.30 बजे उनकी अपने घरवालों से बात हुई थी और इस दौरान उन्होंने अपने पिता नरेंद्र सिंह रावत मां कमला देवी और पत्नी विनिता सहित दोनों बच्चों से बातचीत की थी उनका हालचाल पूछने के बाद मानवेन्द्र ने बताया था कि इन दिनों घाटे में काफी तनाव है, बॉर्डर पार से लगातार फायरिंग की जा रही है और हर समय यहाँ खतरा है।
उस दिन रात 10.30 बजे से आतंकियों से मुठभेड़ शुरू हो गई थी, दोनों ओर से जबरदस्त गोलीबारी शुरू हुई और फिर हमारे जवानो और मानवेन्द्र ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया था पर उसी बीच लगातार दो गोलियां मानवेंद्र को जा लगी, जिससे वह बुरी तरह से लहुलहुहान हो गए। इसके बाद उन्हें तुरंत आर्मी हॉस्पिटल में ले जाया गया और हॉस्पिटल से अंतिम बार मानवेन्द्र ने रात 12 या 1 बजे के बीच अंतिम बार अपने घर वालों से बात की थी। उनके साथ क्या हुआ इस पूरी घटना से उन्हें अवगत कराया और कहा कि माँ चिंता मत करना मैने दो आतंकवादियों को मार दिया है ये सब सुनकर पूरा परिवार को गर्व भी हुआ और एक तड़प भी उठी, और फिर सुबह लगभग 3.30 बजे अस्पातल में ही मानवेन्द्र सिंह देश के लिए शहीद हो गये थे।