अगर ये कहा जाए कि देहरादून के कॉलेजों में आतंकी संगठनों के लोग पढ़ रहे हैं और यहाँ उन्हें बड़ी सुरक्षित पनाहगाह मिल रही है तो यह कहना गलत नहीं होगा क्यूंकि पिछले कुछ समय का इतिहास उठाकर देखा जाए तो आतंकवादियों के तार सीधे देहरादून से जुड़ रहे हैं। पिछले दो सालों का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि दानिश खान और शोएब अहमद लोन सीधे आतंकवादियों के रूप में सामने आये थे और ये दोनों कश्मीरी छात्र राजधानी देहरादून में पढ़ाई के लिए आये थे। हालांकि अब शोएब आतंकी मुठभेड़ में मारा जा चुका है पर जिस आसानी से इन्हें राजधानी देहरादून के कॉलेजों में दाखिला मिल जाता है वो सोचने पर मजबूर जरुर करता है।
दाखिलों का ये सारा खेल एजेंटों के रूप में खेला जाता है, हर साल बड़ी संख्या में कश्मीरी छात्र दाखिले के लिए आवेदन करते हैं। इसके बाद एजेंट कश्मीरी छात्रों को इन कॉलेजों में दाखिला दिलाकर छात्रों और कॉलेजों दोनों से अच्छा खासा कमीशन हासिल कर लेते हैं। क्यूंकि कहीं न कहीं आज कॉलेजों का मकसद मोटी कमाई हासिल करना भी है और इस कमाई के चक्कर में ही कश्मीर से आये इन छात्रों का सही तरीके से सत्यापन तक नहीं किया जाता है। इस वक्त देहरादून के विभिन्न कॉलेजों में कश्मीरी मूल के 300 से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं और इन्हीं छात्रों में से कुछ ऐसे भी हैं जो आतंकियों का खुले तौर पर समर्थन करते रहते हैं।
इसी का नतीजा है कि जब बीते 14 फरवरी को देश अपने 40 जवानों को खोने के बाद गम के सागर में डूबा हुआ था तो वहीँ देहरादून में पढाई कर रहे कुछ कश्मीरी छात्र इस घटना पर सोशल मीडिया पर खुशियाँ मना रहे थे। जैसे ही इस बात की खबर लोगों तक पहुँची सबका गुस्सा भड़ककर सातवें आसमान पर चला गया और फिर विभिन संगठनों के साथ साथ आम लोग भी सम्बंधित कॉलेज के गेट पर जाकर हंगामा करने लगे। कुछ प्रदर्शनकारियों ने वहां तोड़फोड़ का भी प्रयास किया, मगर जैसे तैसे पुलिस ने उन्हें काबू कर लिया। पुलिस अधीक्षक नगर श्वेता चौबे ने बताया कि वहां पर पीएसी और पुलिस को तैनात कर दिया गया है। इसके साथ ही राजधानी देहरादून में प्रेमनगर के करीब आधा दर्जन शिक्षण संस्थानों के बाहर पुलिस फोर्स तैनात की गई है।