देवभूमि उत्तराखंड में चुनावी साल की दहलीज पर पहुंचते ही चार साल से चली आ रही भाजपा सरकार में अचानक नेतृत्व परिवर्तन। बतौर मुख्यमंत्री पौड़ी गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। सबसे पहले गैरसैंण कमिश्नरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास प्राधिकरणों की धमक से उपजे जनाक्रोश को साधने के तुरंत बाद हरिद्वार में महाकुंभ की चुनौती और कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से तीरथ सिंह रावत सरकार को जूझना पड़ा। 100 दिन के छोटे से कार्यकाल में एक के बाद एक कई चुनौती से जूझते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने विपरीत हालात में हर बाधा का न केवल सामना किया, बल्कि उनसे निपटने की रणनीति को बखूबी अंजाम तक भी पहुंचाया।
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2022 के विधानसभा चुनाव में सालभर से कम समय शेष और जनाकांक्षाओं के दबाव के बीच बीती 10 मार्च को तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पदभार संभाला। चुनावी साल में चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी संभालने वाले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सौ दिन का अपना कार्यकाल पूरा तो कर लिया, लेकिन इस राह पर बढ़ते हुए कई मुश्किलों से जूझना पड़ा है। पिछली सरकार के कुछ फैसलों से उपजे असंतोष को थामने के लिए मुख्यमंत्री ने सहज भाव से गैरसैंण कमिश्नरी पर पिछली सरकार के रुख पर कदम पीछे खींचने में देर नहीं लगाई। जिला विकास प्राधिकरणों के ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तक्षेप को दूर करने का लिया। इस संबंध में कैबिनेट सब कमेटी भी गठित की गई है।
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मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायतों के सशक्तीकरण के लिए 400 नए पंचायत भवन बनाने और जीर्ण-शीर्ण पंचायत भवनों के जीर्णोद्धार का महत्वपूर्ण फैसला भी लिया। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश को अपनी गिरफ्त में ले लिया। कोरोना की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था को तो नुकसान हुआ ही, विकास कार्य भी अवरुद्ध हुए। ऐसे कठिन वक्त में कोरोना से जन हानि को थामने के लिए सरकार को पूरी ताकत झोंकनी पड़ी। राज्य में स्वास्थ्य अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार के प्रयासों को तेजी से अंजाम दिया गया। आम जनता को राहत देने के लिए सरकार ने राज्य खाद्य योजना के करीब 10 लाख से ज्यादा राशनकार्डधारकों को तीन माह तक अतिरिक्त खाद्यान्न लेने का अहम फैसला लिया। यही नहीं कोरोना संकट के मौके पर 23 लाख से ज्यादा राशनकार्डधारकों को सस्ती दर पर दो किलो चीनी देने की पहल सरकार ने की।