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सेना दिवस विशेष: देवभूमि के लालों को आजादी से अब तक मिल चुके 1343 वीरता पदक

हर साल 15 जनवरी को भारत में थल सेना दिवस मनाया जाता है। इसी दिन साल 1949 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली थी। करियप्पा भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ बने थे। आपको बता दें आजादी के बाद सेना के पहले दो चीफ ब्रिटिश थे। करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर की जगह ली जिन्होंने 1 जनवरी, 1948 से 15 जनवरी, 1949 तक सेना के शीर्ष पद पर अपनी सेवाएं दीं।

भारत-पाक आजादी के वक्त करियप्पा को दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसे उन्होंने पूरी ईमानदारी से निभाया था। अप्रैल 1986 में उन्हें बेहतरीन सैन्य सेवाओं के लिए पंच-सितारा रैंक फील्ड मार्शल से सम्मानित किया गया। आज तक ये पंच-सितारा रैंक भारतीय सेनाओं में केवल तीन सैन्य अधिकारियों को मिली है- करियप्पा, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और मार्शल ऑफ इंडियन एयर फोर्स अर्जन सिंह।

भारतीय सेना में बात अगर उत्तराखंड की करें तो उत्तराखंड को यूं ही वीर भूमि नहीं कहा जाता। देश और सरहद की रक्षा में उत्तराखंड के जवानों का पूरी दुनियां में कोई मुकाबला नहीं है। जब भी भारत माता को जरुरत हुई हमेशा उत्तराखंड के वीरों ने अपनी जाबांजी की मिसाल पेश की है। कम जनसंख्या होने के बाद भी वीरता में उत्तराखंड हमेशा अव्वल रहा। आजादी के बाद से अब तक यहां के बहादुरों ने एक परमवीर चक्र, छह अशोक चक्र, 13 महावीर चक्र, 32 कीर्ति चक्र सहित 1343 वीरता पदक अपने नाम किए हैं।

परमवीर चक्र : 01

अशोक चक्र : 06

महावीर चक्र : 13

कीर्ति चक्र : 32

उत्तम युद्ध सेवा मेडल : 03

वीर चक्र :102

शौर्य चक्र :182

युद्ध सेवा मेडल : 32

सेना, नौ सेना, वायु सेना मेडल : 788

मेंशन-इन-डिस्पैच : 184


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