रोटी-बेटी के संबंधों को बनाए रखने के लिए भारत-नेपाल के प्रशासन ने 15 मिनट के लिए अंतरराष्ट्रीय पुल खोला। बगैर बाराती ही दूल्हा अपने पिता के साथ दुल्हन लेने दार्चूला पहुंचा। आमतौर पर छह से सात घंटे में होने वाला हिन्दू विवाह महज 12 मिनट में संपन्न हो गया। भारत, नेपाल प्रशासन की सहमति पर पिथौरागढ़ निवासी कमलेश चंद की बारात नेपाल के दार्चूला के लिए रवाना हुई। बारात में केवल दूल्हा और उसके पिता सहित दो ही लोग विवाह में शामिल हुए।
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प्रशासन की शर्त पर महज 15 मिनट झूलापुल खोला गया। दूल्हा और उसके पिता दार्चूला स्थित दूल्हन के घर पहुंचे। विवाह में होने वाले धार्मिक अनुष्ठान को छोड़कर महज वरमाला डालकर ही दूल्हा, दुल्हन को लेकर वापस भारत की ओर लौट आया। झूलापुल पर पहुंचने पर सीमा पर तैनात जवानों ने भी बधाई दी। कमलेश और राधिका ने यह कभी सपने में भी यह नहीं सोचा होगा कि उन्हें इस तरह से अनोखा विवाह करके एक-दूसरे का हाथ थामना होगा। झूलापुल पहुंचने पर सीमा पर तैनात जवानों ने उनको शुभकामनाएं दीं और नवदंपति ने विवाह की अनुमति मिलने पर भारत-नेपाल प्रशासन का आभार व्यक्त किया।