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उत्तराखंड का एक और सपूत देश के लिए कुर्बान, अपनी जान देकर बचायी सैकड़ों जिंदगियां

एक दुखभरी खबर एक बार फिर सामने आयी है जब बेंगलुरू स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड हवाई अड्डे पर भारतीय वायुसेना का मिराज 2000 प्रशिक्षक विमान शुक्रवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया उस समय विमान में दो पायलट थे और दोनों की ही मौत हो गई है। खबर के जब दोनों पायलटों को लगा कि विमान में तकनीकी खराबी आ गयी है तो उन्होंने खुद को बचाने के लिए विमान से निकल जाने की बहुत  कोशिश की लेकिन वह उसी समय हुए धमाके के बाद विमान में लगी आग की चपेट में आ गए। इस कारण  दुर्घटना में एक पायलट का शव पूरी तरह झुलस गया जबकि दूसरे पायलट को सेना के अस्पताल ले जाया गया और फिर अस्पताल में ही घायल पायलट की भी मौत हो गई है।

दोनों पायलट में से एक पायलट उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के रहने वाले स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी भी थे जिनका परिवार वर्तमान में पंडितवाड़ी देहरादून में रहता है, उनके पिता बलबीर सिंह नेगी पुलिस से रिटायर हैं और वर्तमान में ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं। उनका एक बेटा सिद्धार्थ नेगी और एक बेटी है, बेटी भी वर्तमान में बंगलुरु में है। सिद्धार्थ की शादी अभी डेढ़ साल पहले ही हुई थी उनकी पत्नी धुर्विका भी वायुसेना में अफसर हैं। सिद्धार्थ नेगी के शहीद होने की खबर सुनने के बाद से ही परिवार में मातम छाया हुआ है परिवार में किसी को भी इस बात पर भरोसा नहीं हो रहा है जिस दिन देवभूमि का ये लाल देश के लिए कुर्बान हुआ उसी दिन उनका जन्मदिन भी था।

वायुसेना के अधिकारियों के अनुसार ये विमान आबादी वाले इलाके में गिर सकता था, लेकिन दोनों पायलटों की सूझबूझ से बड़ा हादसा होने से टल गया क्यूंकि अगर ये विमान आबादी वाले इलाके में गिरता, तो बड़ी तबाही भी सकती थी। लेकिन पायलट्स ने जबरदस्त क्षमता का परिचय दिय़ा और विमान को आबादी वाले इलाके से दूर लेकर चले गए थे। सिद्धार्थ नेगी ने सेवन ऑक्स स्कूल से 10वीं और केवि एफआरआई से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसके बाद उनका चयन एनडीए में हुआ वर्ष 2005 से वर्ष 2008 के बीच इनका प्रशिक्षण हुआ और फिर जून 2009 में वह एयरफोर्स एकेडमी से पास आउट हुए थे। प्रशिक्षण में उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें गोल्डन ब्वॉय के नाम से जाना जाने लगा था।


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