साल 2014 में जबसे केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी है और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैं तबसे अगर आपसे भी कोई केंद्र के सबसे बड़े मिशन के बारे में कोई पूछेगा तो आप भी स्वच्छ भारत अभियान का ही नाम लेंगे, क्यूंकि प्रधनमंत्री का सपना है जब साल 2022 में भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा हो तब तक भारत पूरी तरह से स्वच्छ हो जाए और इस काम के लिए प्रधानमंत्री और उनकी टीम मिशन मोड़ पर काम भी कर रही है।
इसी एक मिशन के लिए देश भर में कुछ गांवों को मॉडल गाँव बनाने और स्वच्छ आइकॉनिक स्थल बनाने के लिए पहल की गयी और इसी एक पहल में भारत और उत्तराखंड के अंतिम गाँव माणा का भी चयन किया गया है, माणा गाँव बद्रीनाथ मंदिर से मात्र 3 किमी की दूरी पर है और यहाँ पूरे यात्रा सीजन के दौरान काफी चहल-पहल रहती है क्यूंकि इस गाँव के भोटिया जनजाति के लोंगो ने अब तक अपनी सांस्कृतिक विरासत संभाली हुई है और साथ ही इनके द्वारा निर्मित ऊनी कपड़ों की मांग बहुत ज्यादा रहती है।
स्वच्छ भारत मिशन के लिए माणा गाँव का चयन होने के बाद कल यानी 12 जून को भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सचिव परमेश्वरन अय्यर यहाँ आये हुए थे और उन्होंने इस कार्ययोजना की यहाँ शुरुआत कर दी है, और इस मौके पर उन्होंने कहा कि माणा गांव को स्वच्छ आइकॉनिक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा जिसके लिए यहाँ पूरे 20 करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे इसमें से केंद्र की ओर से 15 करोड़ और राज्य की ओर से पांच करोड़ की धनराशि दी जाएगी।
आपको बता दें कि माणा गाँव को स्वच्छ आइकॉनिक स्थल बनाने के लिए इस गाँव में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, घाट का सुंदरीकरण, तीर्थ स्थल व प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार, ट्रंचिंग ग्राउंड, शॉपिंग कांप्लेक्स और मीटिंग हॉल का निर्माण किया जाएगा। ताकि ये पूरे देशभर में एक आदर्श गाँव का मॉडल पेश कर सके।