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देवभूमि की “पैडवुमैन” बनी ये बेटियां, 50 महिलाओं को रोजगार देकर 25 हजार से ज्यादा लोगों को जोड़ा साथ

वो कहते हैं न अगर आपमें हुनर हो और आप कुछ करने के जज्बे को साथ लेकर काम में जुट जाते हैं तो वो काम पूरा होकर ही रहता है, ऐसे ही एक काम आजकल पूरे उत्तराखंड में सुर्ख़ियों में है जहाँ उत्तराखंड की बेटियों ने अपने शानदार जज्बे और कौशल के दम पर हर किसी को अपना दीवाना बना दिया है। आपको ये बात तो पता ही होगी जब इस साल के फरवरी माह में अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म पैडमेन रिलीज हुई थी जो समाज में औरतों के लिए पैड क्यों जरुरी है इस पर बनी हुई थी, तो इसी फिल्म से प्रेरणा लेकर उत्तराखंड की दो बेटियों ने सस्ते पैड बनाना शुरू किया और बहुत जल्द ही उन्हें इस काम में बड़ी सफलता भी हाथ लग गयी है।

उत्तरकाशी की मूल निवासी डॉ. पुष्पा नेगी पेशे से डॉक्टर (बीएएमएस) हैं और अब तक वो प्रदेश के कई हॉस्पिटल में अपनी सेवाएँ दे चुकी हैं वहीँ दूसरी और पौड़ी जिले के श्रीनगर की बेटी निवेदिता चमोली, पेशे से फार्मेसिस्ट हैं और वो भी एक संस्था से जुडी हुई थी, इन दोनों बेटियों की मुलाकात एक संस्था के मीटिंग के सिलसिले में हुई। और फिर पैडमेन फिल्म से प्रेरणा लेकर दोनों ने राह चुनी पैडवुमैन बनने की। इसके बाद दोनों बेटियों ने सबसे पहले माही फाउंडेशन के नाम से संस्था बनाई और फिर सस्ते सेनेटरी नैपकिन बनाने की शुरुआत की। इसके बाद दोनों कॉलोनियों में शिविर लगाकर महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन के प्रति जागरूक करने लगी और कपड़े से होने वाले संक्रमण के बारे में भी बताने लगी।

जब इन दोनों बेटियों के साथ उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद की बेटी अल्का शुक्ला जुडी तो इनका काम एक नये मुकाम पर पहुंचना शुरू हो गया, इसके बाद देहरादून और आसपास के इलाकों से इनके साथ लगभग 25 हजार महिलायें जुड़ चुकी है जो इनके सस्ते सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग कर रही हैं। इसके साथ ही माही फाउंडेशन के साथ अब तक 50 महिलायें भी जुड़ चुकी हैं जिनसे इन्हें रोजगार मिल रहा है जहाँ इन महिलाओं को 5 रुपये प्रति नेपकिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है।

माही फाउंडेशन द्वारा बनाए गये सेनेटरी नैपकिन की विशेषता—

  1. इस फाउंडेशन द्वारा बनाए गये पांच नैपकिन का पैकेट महज 22 रुपये का है जो मार्केट रेट से काफी सस्ता है।
  2. पर्यावरण संरक्षण का संदेश देकर कागज के पेकेट में की जाती है पैकिंग।
  3. उत्तराखंडी लोगों के जुड़े होने के कारण प्रदेश के लोगों को ही मिलता है लाभ।

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