वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को अगले वित्त वर्ष के लिए सुधारों को आगे बढ़ाने वाला अंतरिम बजट पेश किया, जिसमें लोकलुभावन घोषणाओं से परहेज किया गया है. उन्होंने वित्त वर्ष 2024-25 का लेखानुदान या अंतरिम बजट पेश करते हुए एक तरफ जहां आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये पूंजीगत व्यय 11 प्रतिशत बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है, वहीं चालू वित्त वर्ष के लिये राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित कर इसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत कर दिया है. कुल 47.66 लाख करोड़ रुपये के व्यय का बजट पेश किया गया है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर कोई राहत नहीं दी. हालांकि 25,000 रुपये तक के छोटी राशि के कर मांग को लेकर विवाद से आम लोगों को राहत देने का प्रस्ताव किया. एक घंटे से भी कम समय के अपने बजट भाषण में उन्होंने पिछले 10 साल में सरकार की उन उपलब्धियों को रखा जिससे देश ‘नाजुक अर्थव्यवस्था’ की श्रेणी से बाहर निकल गर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जो अंतरिम बजट पेश किया है, उससे राज्य के आर्थिक विकास को मदद मिलेगी। बजट में केंद्रीय करों में राज्यांश बढ़ाने का जो अनुमान लगाया गया, उससे राज्य को आगामी वित्तीय वर्ष में 2217 करोड़ रुपये अधिक मिलने की संभावना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुताबिक, केंद्रीय बजट में किए गए प्रावधानों से राज्य के पर्यटन विकास को पंख लगेंगे और औद्योगिक निवेश की ग्राउंडिंग में तेजी आएगी।
अंतरिम बजट में वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान के मुताबक केंद्रीय करों में राज्यांश बढ़ गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तराखंड राज्य के लिए 11419.78 करोड़ रुपये का प्रावधान था, जो संशोधित अनुमान में 12,348 करोड़ हो गया है। इस तरह लगभग 928 करोड़ इसी वित्तीय वर्ष में अधिक मिलने की संभावना है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्यांश लगभग 13637 करोड़ होने का अनुमान है। यह गत वर्ष के मूल अनुमान से 2,217 करोड़ अधिक होगा। बकौल मुख्यमंत्री प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए यह केंद्र सरकार का महत्वपूर्ण उपहार है।