Home उत्तराखंड राजनीति ने मार दिया पहाड़, सड़क होती तो शायद बच जाती जान

राजनीति ने मार दिया पहाड़, सड़क होती तो शायद बच जाती जान

गांव जलेड़ी में एक बुजुर्ग की अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में ही मौत हो गई क्यूंकि चंबा का ये गाँव अभी बी सड़क सुविधा से वंचित है । बुजुर्ग की ताबियद ज्यादा खराभ होने पर ग्रामीण उन्हें एक स्टील की चेयर पर बांधकर पैदल ही अस्पताल ले जाने के लिए निकले थे. लेकिन गांव से करीब तीन किलोमीटर नीचे पहुंचने पर रास्ते में ही गोपाल सिंह की मौत हो गई। गांव वाले उनके शव को फिर वापस घर ले आए। इस दौरान उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है उनका कहना है कि यदि गांव तक सड़क बनी होती तो व्यक्ति को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता था और उनकी जान बच सकती थी।

तीन साल पहले गोपाल सिंह की पत्नी प्रेमा देवी की मौत भी ऐसी ही स्थिति में हुई थी, जब उन्हें बीमार होने पर अस्पताल ले जाया जा रहा था। लेकिन मुख्य सड़क पर पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई और दूसरे दिन उनका अंतिम संस्कार किया गया था। इस घटना को लेकर मृतक के बेटे वीरेन्द्र सिंह नेगी का कहना है कि उनके भाई रघुवीर सिंह 20 जून 1988 को शांति सेना की ओर से श्रीलंका में हुई लड़ाई में देश के लिए शहीद हुए थे। सरकार शहीदों को सम्मान देने की बात तो कर रही है लेकिन शहीद के गांव तक सड़क नहीं बना पाई। ग्रामीणों का कहना है कि आखिर गांव के लोग कब तक बेमौत मरते रहेंगे। वहीं ग्राम प्रधान मालती देवी का कहना है कि गांव के लोग लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं। लेकिन सड़क आज तक नहीं बनी। उन्हेांने बताया कि आंदोलन करने के बाद एक साल पहले गांव के लिए सड़क स्वीकृत तो हुई, लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्रवार्इ नहीं हुर्इ है।

वहीं लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता गौरव थपलियाल का कहना है कि प्रथम चरण में दो किलोमीटर सड़क स्वीकृत है। जिसके सर्वे को लेकर पहले ग्रामीणों में विवाद था। अब नया सर्वे किया गया है, जिसमें किसी को आपत्ति नहीं है। अब जल्द ही सड़क निर्माण की कार्रवार्इ शुरू कर दी जाएगी।


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