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पूरे देश की सुर्ख़ियों में छाया उत्तराखंड का शिक्षक-पुस्तक आन्दोलन, जानिये क्या है पूरा मामला

उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में जिला मुख्यालय से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर पिथौरागढ़ जिले का सबसे बड़ा महाविद्यालय है जिसका नाम है लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय। महाविद्यालय की स्थापना 1963 में हुई थी और तब ये महाविद्यालय आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एक कॉलेज हुआ करता था और वर्तमान में इसका सम्बद्ध कुमाऊं विश्वविद्यालय से है।

इस समय इस महाविद्यालय में 6900 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। अपने आप में सीमांत क्षेत्र का यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा महाविद्यालय है यहाँ पढने के लिए पड़ोसी जिलों ( अल्मोड़ा व चम्पावत ) से भी भारी संख्या में छात्र उच्च शिक्षा हेतु पिथौरागढ़ महाविद्यालय में आते है। इसके अलावा महाविद्यालय में नेपाली छात्र – छात्राओं की भी अच्छी खासी संख्या है। पर जो समस्या अब यहाँ महसूस हो रही है वो ये कि महाविद्यालय  में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। लगभग 7000 विद्यार्थियों के लिए 120 प्राध्यापकों के पद ही सृजित हैं, और जिनमें से भी लगभग 3 दर्जन पद रिक्त पड़े हैं। महाविद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तकों का भारी अभाव है और जो पुस्तकें उपलब्ध भी हैं वो इतनी पुरानी हैं कि उनकी प्रासंगिकता खत्म हो गयी है।

इस सम्बन्ध में एम.ए. इतिहास के छात्र किशोर जोशी कहते हैं कि “हम अभी भी 90 के दशक की किताबें पढ़ रहे हैं, उन किताबों में सोवियत रूस अभी भी महाशक्ति है और शीत युद्ध चरम पर है ऐसे में हमसे कैसे उम्मीद की जा सकती हैं कि तेजी से बदल रहे वैश्विकरण के इस दौर में हम अच्छे शिक्षण संस्थानों से मुकाबला करें”। वहीँ एक अन्य छात्रा का इसपर कहना है कि कॉलेज में प्रयोगशाला की हालत इतनी खराब है कि विज्ञान जैसे विषय भी किताबी ज्ञान पर चल रहे हैं और अधिकतर छात्र-छात्राओं को किताबें भी उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।

इन्हीं मांगों को लेकर छात्रसंघ के नेतृत्व में 17 जून से पिथोरागढ़ के महाविद्यालय में धरना प्रदर्शन की कार्यवाही शुरू की गयी है। छात्र संघ अध्यक्ष राकेश कहते हैं कि इस सम्बन्ध में 5 बार जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से ज्ञापन भेजा जा चुका है और एक-एक बार नैनीताल जाकर कुलपति महोदय और उच्च शिक्षा निदेशालय से बात की गयी थी जिस पर कोई कार्यवाही न होने पर ही हमें परीक्षाओं के बीच भी धरने पर बैठने के लिए बाध्य होना पड़ा है।

17 जून से शुरू हुआ यह धरना प्रदर्शन परीक्षाओं और बारिश के बीच भी लगातार जारी है। आंदोलनरत छात्र-छात्राओं की मांगे हैं कि” महाविद्यालय में पुस्तकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। महाविद्यालय में प्राध्यापकों के रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए तथा नए पदों का भी सृजन हो। महाविद्यालय में अध्ययनरत शोधार्थियों को शोध सहायतादी जाए। महाविद्यालय में एक सब – रजिस्ट्रार कार्यालय खोला जाए जिसके अभाव में छात्रों को डिग्री निकालने और अंकतालिका में त्रुटि जैसी छोटी समस्याओं के समाधान के लिए नैनीताल का चक्कर लगाना पड़ता है।” आपको बता दें शिक्षक पुस्तक आंदोलन के साथ साथ ही पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय बनाने की मांग को लेकर भी आंदोलन चल रहा है।


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