Home उत्तराखंड केंद्रीय एजेंसियों का हो रहा दुरुपयोग… जो बीजेपी में शामिल हो गए...

केंद्रीय एजेंसियों का हो रहा दुरुपयोग… जो बीजेपी में शामिल हो गए उन नेताओं के खिलाफ जांच बंद: विपक्ष

AAP सांसद संजय सिंह ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मनीष सिसोदिया को CBI मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है। एजेंसी उनसे झूठे कबूलनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए फोर्स कर रही है। उनसे कहा जा रहा है कि हम आपको सारे आरोप लिखित में दे रहे हैं, आप इस पर हस्ताक्षर कर दें। इधर, दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर 9 विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। इन नेताओं में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं। चिट्ठी में लिखा है कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी यह दिखाती है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश से तानाशाही शासन में तब्दील हो गया है।

शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सिसोदिया की पेशी हुई थी। यहां उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट ने 10 मार्च तक के लिए जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया और CBI को उनकी दो दिन की रिमांड और दे दी। दिल्ली शराब नीति घोटाला केस में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के मामले पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, एनसपी प्रमुख शरद पवार और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत 9 विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है। चिट्ठी में कहा गया है कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ जिस तरह से केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, कार्रवाई से ऐसा लगता है कि हम एक लोकतंत्र से तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं।

विपक्षी नेताओं ने पत्र में लिखा है कि 26 फरवरी 2023 को दिल्ली में मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी काफी लंबी कवायद के बाद और बिना कोई सबूत साझा किए की गई। पत्र में कहा गया है कि मनीष सिसोदिया पर लगाए गए सभी आरोप निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं। सिसोदिया के खिलाफ इस कार्रवाई से देशभर की जनता में गुस्सा है। सिसोदिया को स्कूल शिक्षा में शानदार बदलाव लाने के लिए जाना जाता है। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी दुनिया के सामने राजनीतिक साजिश का उदाहण पेश करती है। इस गिरफ्तारी से इस बात को भी बल मिलता है कि भारत में लोकतांत्रिक मूल्य बीजेपी के शासन में खतरे में हैं।

चिट्ठी में कहा गया कि साल 2014 में बीजेपी के केंद्र की सत्ता में काबिज होने बाद अब तक जिन नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों ने मामले दर्ज किए हैं, उनसे पूछताछ की है, उन्हें गिरफ्तार किया है या उनके आवासों या परिसरों पर छापेमारी की है, वे ज्यादातर विपक्षी पार्टियों के हैं। पत्र में कहा गया है कि रोचक बात यह है कि उन नेताओं के खिलाफ जांच की रफ्तार धीमी पड़ गई है, जो बीजेपी में शामिल हो गए। पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में विपक्षी नेताओं ने ऐसे नेताओं का उदाहरण भी दिया है। मिसाल के तौर पर पत्र में कहा गया कि पूर्व कांग्रेस नेता और अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (बीजेपी) के खिलाफ ईडी और सीबीआई ने 2014 और 2015 में शारदा चिट फंड मामले में जांच बैठाई थी। बाद में सरमा के बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी में शामिल होने के बाद जांच ठंडे बस्ते में चली गई। चिट्ठी में पूर्व तृणमूल कांग्रेस नेता सुवेंदु अधिकारी और मुहुल रॉय का भी जिक्र किया गया है। पत्र में कहा गया कि महाराष्ट्र के नारायण राणे समेत कई नेताओं के नाम ऐसे ही मिसाल पेश करते हैं।


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here