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शीतकाल में आईटीबीपी ने संभाली केदारनाथ और बदरीनाथ मंदिर की सुरक्षा… पीएसी को हटाया गया

केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद आइटीबीपी की एक-एक प्लाटून दोनों धामों केदारनाथ और बदरीनाथ की सुरक्षा में लग गई है। इसमें प्लाटून कमांडर के साथ 30-30 जवान तैनात हैं। बदरीनाथ में आइटीबीपी की प्लाटून के लिए मंदिर के पास एक अस्थायी कक्ष की व्यवस्था की गई है जबकि प्लाटून का स्थायी कैंप पोस्ट आफिस भवन में होगा। चीन सीमा पर पहले से ही सुरक्षा की जिम्मेदारी आइटीबीपी के पास है। दोनों ही धामों में रविवार को हिमवीरों की एक-एक प्लाटून तैनात कर दी गई। बदरीनाथ धाम में पुलिस ने श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार की उपस्थिति में मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था हिमवीरों के सुपुर्द की।

चमोली जिले का काफी भूभाग चीन सीमा से सटा हुआ है। चीन भी सीमा पर अक्सर घुसपैठ की कोशिशें करता रहा है। इसके अलावा बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने के सिंहासन पर नारायण विराजमान रहते हैं और दीवारों पर सोने की परतें भी लगाई गई हैं। केदारनाथ मंदिर में भी गर्भगृह की दीवारें स्वर्ण मंडित हैं। दोनों धाम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के कार्य भी चल रहे हैं। इन सबको देखते हुए दो वर्ष से शीतकाल में धाम की सुरक्षा का जिम्मा आइटीबीपी को दिया जा रहा है। हालांकि, वर्ष 2022 से पहले तक शीतकाल में भी धाम में सुरक्षा का जिम्मा पुलिस संभालती रही है और इस वर्ष यात्राकाल में भी सुरक्षा का जिम्मा पुलिस के पास ही था।

कुछ दिन पहले मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने केंद्र और राज्य सरकार को पत्र भेजकर शीतकाल के लिए बदरीनाथ व केदारनाथ धाम की सुरक्षा में आइटीबीपी को तैनात करने का सुझाव दिया था। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद आइटीबीपी की एक-एक प्लाटून दोनों धाम की सुरक्षा में लग गई है। इसमें प्लाटून कमांडर के साथ 30-30 जवान तैनात हैं। बदरीनाथ में आइटीबीपी की प्लाटून के लिए मंदिर के पास एक अस्थायी कक्ष की व्यवस्था की गई है, जबकि प्लाटून का स्थायी कैंप पोस्ट आफिस भवन में होगा। चीन सीमा पर पहले से ही सुरक्षा की जिम्मेदारी आइटीबीपी के पास है।


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