उत्तराखंड सरकार ने 2 दिन पहले एक बड़ी घोषणा की थी जिसके अनुसार चारधाम यात्रा के लिए अब उत्तराखंड के लोगों को मंजूरी देने का फैंसला किया गया था। उत्तराखंड में एक जुलाई से शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीडर यानि SOP जारी कर दिया गया है. इस यात्रा में जो भी यात्री चारधाम यात्रा के लिए जाना चाहते हों उनके लिए E-pass बनाना अनिवार्य किया गया है। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड 1 जुलाई से शुरू चारधाम यात्रा शुरू करने जा रहा है जिसके लिए उनकी वेबसाइट https://badrinath-kedarnath.gov.in/ पर ई-पास बनाना अनिवार्य होगा।
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अब जबकि यात्रा शुरू होने में एक दिन भी पूरा नहीं बचा है उसके बावजूद भी अभी तक चारधाम देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर ई-पास नहीं बन पा रहे हैं और वेबसाइट खोलने पर जो पॉप-अप मेसेज आ रहा है वह ये कि जल्द ही आप पास बनवा सकते हैं। इसके कारण उन लोगों को बड़ी परेशानी हो रहे है जो कल यानी 1 जुलाई को चारधाम यात्रा पर जाना चाहते हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए बोर्ड ने एक हेल्प डेस्क भी बनाई है। हेल्प डेस्क के नंबर 7060728843, 9758133933 पर संपर्क कर सकते हैं।
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Uttarakhand Chardham Devasthanam Board issues standard operating procedure for Chardham Yatra that will begin from 1st July; E-pass applicable for residents of State only and is valid only for darshan at temple during visit to the shrine. pic.twitter.com/aFQTUL5qf2
— ANI (@ANI) June 29, 2020
चारधाम यात्रा करने के लिए आवश्यक निर्देश–
–1 जुलाई से राज्य स्तर पर शुरू होगी यात्रा
– सिर्फ उत्तराखंड के स्थानीय निवासी ही कर सकते हैं चारधाम यात्रा
– कंटेनमेंट जोन और बफर जोन के निवासी नहीं कर पाएंगे चार धाम यात्रा
– यात्रा शुरू करने से पूर्व देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकरण जरूरी होगा
– रजिस्ट्रेशन में अपनी पूरी जानकारी देनी होगी
– हर धाम में केवल एक ही रात्रि ही ठहरने की इजाजत
– किसी आपदा की स्तिथि में स्थानीय प्रशासन की लेनी होगी अनुमति
–– 65 साल से अधिक के बुजुर्ग व 10 साल से कम के बच्चे को यात्रा न करने के निर्देश
– हैंड सैनिटाइजर, मास्क व सोशल डिस्टेंस का पालन करना होगा अनिवार्य
– कोई भी श्रद्धालु धाम में मंदिर के गर्भगृह सभा मंडप के अग्रभाग में नहीं जा सकेंगे
– मंदिर में प्रवेश से पहले हाथ पैर धोना जरूरी होगा
– परिसर के बाहर से लाए किसी प्रसाद चढ़ावे को मंदिर परिसर में लाना वर्जित
– देवमूर्ति को स्पर्श करना वर्जित
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