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धामी 2.0 का एक साल का कार्यकाल हुआ पूरा, देखिये सीएम धामी का 1 साल का रिपोर्ट कार्ड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल गुरुवार को पूर्ण करने जा रही है। धामी ने इस एक साल के कार्यकाल में एक के बाद एक बड़े निर्णय लेकर अपने चयन को सही साबित करने का प्रयास किया।

धामी सरकार के एक साल के कार्यकाल के बड़े फैसले और भावी चुनौतियों की बात करें तो

उच्च न्यायालय ने महिलाओं के सरकारी नौकरियों में 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई। धामी सरकार ने कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहां से राहत मिलने के बाद कानून बना दिया।

आंदोलनकारियों के 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण का भी सरकार पर दबाव बना। सीएम धामी ने राजभवन से सात साल से लंबित पड़े विधेयक को वापस मंगवाया और कैबिनेट ने राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने का फैसला लिया।

धामी सरकार में जबरन धर्मांतरण कानून को और अधिक सख्त बना दिया गया। इसमें 10 साल तक सजा का प्रावधान किया गया।

प्रतियोगी परीक्षाओं में घपला सामने आने के बाद सरकार ने नकल विरोधी कानून बनाया और इसमें 10 साल तक की सजा और संपत्ति जब्त करने के कठोर प्रावधान किए।

विधानसभा में बैकडोर से लगे 228 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। स्पीकर के अनुरोध पर सरकार ने इसकी अनुमति दे दी।

पांच साल में प्रदेश की राज्य के सकल घरेलू उत्पाद दर को दोगुना करने का लक्ष्य बनाया

वही दूसरी तरफ इन मुश्किलों ने सीएम धामी को असहज किया

ऋषिकेश में अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में सरकार और संगठन को मुश्किल में डाला। विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया। सरकार को एसआईटी से जांच कराई।

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले में भी सरकार असहज हुई। एसटीएफ और एसआईटी को जांच दी गई। सरकार ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में दोनों जांच कराने का फैसला लिया।
नकल करने और कराने में लिप्त 80 से अधिक लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा।

जोशीमठ में भू धंसाव की घटना ने सरकार को कठिन चुनौती में डाल दिया। सरकार को एनटीपीसी और आसपास चल रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगानी पड़ी। प्रभावितों के लिए पुनर्वास नीति बनाई।

सीएम के सामने सबसे पहली परीक्षा उपचुनाव की थी, जिसे उन्होंने 94 फीसद मत के साथ पास किया। हरिद्वार पंचायत चुनाव में पहली बार भाजपा ने जीत का इतिहास रचा।

दूसरे साल की नई चुनौतियां की बात करें तो

चारधाम यात्रा से पहले ही चारों धामों की तीर्थ पुरोहित और कारोबारी धामों में यात्रियों की संख्या को सीमित करने का विरोध कर रहे हैं। सरकार के सामने 22 अप्रैल से शुरू हो रही यात्रा को सुगम, सुरक्षित बनाने की चुनौती है।

इस साल नवंबर में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। चुनाव के परिणाम धामी सरकार के प्रदर्शन से जोड़कर देखे जाएंगे।

सीएम के सामने 2024 के लोकसभा चुनाव की भी चुनौती है। भाजपा में लोकसभा की पांचों सीटें जीतने का दंभ भर रही है।

सरकार ने सशक्त उत्तराखंड का लक्ष्य बनाया है। इस लक्ष्य का पूरा करने के लिए उसने जो नीतियां और योजनाएं तैयार की हैं, उन्हें जमीन पर उतारने की भी सरकार पर बड़ी चुनौती है।


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