भारत और चीन के बीच पिछले 50 सालों में पहली बार तनाव अपने चरम पर है और दूसरी तरफ नेपाल लगातार चीन के बहकावे में आकर वो काम कर रहा है जिससे उसके सम्बन्ध भारत के साथ खराब होते चले जा रहे हैं। पिछले कुछ समय से नेपाल जिस तरह से भारत को आंखें दिखा रहा है उसके पीछे चीन का हाथ होने का एक बड़ा सबूत उत्तराखंड में सामने आया है। पिथोरागढ़ में जबसे भारत ने लिपुलेख तक सड़क का निर्माण किया है तबसे नेपाल और चीन दोनों परेशान हैं और उसके बाद नेपाल ने भी दार्चुला-टिंकर सड़क पर काम शुरू कर दिया था। 134 किमी लंबी सड़क पहाड़ काट कर तैयार की जानी है।
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लेकिन यहाँ हालात इतने विपरीत हैं कि नेपाल निर्माण निगम के विशेषज्ञों ने इसपर अपने हाथ खड़े कर दिए वो अब वन बेल्ट व रोड परियोजना में जुटी चीनी कंपनी के विशेषज्ञों ने उत्तराखंड की पिथौरागढ़ सीमा से सटे क्षेत्र में नेपाली सेना का ड्रेस पहनकर यहाँ निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। यहां उनकी संख्या अभी करीब 30 तक बताई जा रही है। उन्हें सेना की टुकड़ी के साथ हेलीकॉप्टर से निर्माण स्थल पर पहुंचाया गया है। गर्बाधार-लिपुलेख सड़क निर्माण के बाद नेपाल ने विरोध दर्ज कराकर दार्चुला-टिंकर सड़क मार्ग पर काम शुरू कर दिया था। इस बीच भारतीय क्षेत्र पालपा, लामारी, बूंदी और गब्र्यांग के स्थानीय लोगों का भी वहां आना जाना लगा रहता है।
निर्माण कार्य में लगे सैनिकों की बोलचाल और शारीरिक बनावट उन्हें चीनी लगी। धीरे-धीरे बात पूरे सीमावर्ती क्षेत्रों में फैल गई। इसे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी गंभीरता से लिया है। नेपाल ने कालापानी क्षेत्र में नजर रखने के लिए छांगरू में सशस्त्र बल की बीओपी शुरू कर दी है। यहां से सशस्त्र बल के साथ ही नेपाली सेना पूरे क्षेत्र पर नजर रखेगी। व्यवस्था का जायजा लेने के लिए ही बुधवार को पहली बार नेपाली सेनाध्यक्ष पूर्णचंद थापा और सशस्त्र प्रहरी बल के प्रमुख शैलेंद्र खनाल दार्चुला पहुंचे। नेपाली नक्शा विवाद के बाद पहली बार नेपाली सैन्य प्रमुख यहां के दौरे पर पहुंचे।