रुदप्रयाग जिले की केदारघाटी इन दिनों पूरी देश-दुनियां से कटी हुई है और इसका कारण है बांसवाड़ा। क्यूंकि पिछले कुछ समय से ये जगह पूरे गढ़वाल में सबसे ज्यादा संवदेनशील जगह बनी हुई है। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर बांसवाड़ा भूस्खलन जोन एक नया सिरोहबगड़ बनकर सबके सामने आ गया है। बीते चार दिनों से पहाड़ी से भूस्खलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां जगह-जगह पर पानी का रिसाव होने से हालात और भी गंभीर हो रहे हैं।
ऐसे में जहां केदारघाटी का जिला मुख्यालय से संपर्क कटा हुआ है। यहां जरूरी सामग्री की सप्लाई भी ठप हो रखी है। यहां पहाड़ी से रुक-रुककर पत्थर व मलबा निरंतर गिर रहा है, जिस कारण वाहनों का संचालन ठप है। यहां जगह-जगह पर पानी के रिसाव से कीचड़ जमा है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो रही है। एनएच द्वारा बीते रविवार को कुछ देर बारिश थमने के दौरान मलबा साफ कर यातायात शुरू करने का प्रयास किया गया। लेकिन पुन: पहाड़ी से भूस्खलन सक्रिय होने के कारण बात नहीं बन पाई। पर बांसवाड़ा की समस्या ऐसा नहीं है कि पहली बार सामने आ रही है बल्कि अगर हम पिछले 20 सालों पर गौर करैं तो ये समस्या यहाँ हमेशा से ही रही है। हर बार केदारघाटी को इस समस्या से दो चार होना पड़ता है। जिसे आम जनता और केदारनाथ आने वाले तीर्थ यात्रियों को भी तमाम तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है।
अगर इस रास्ते का अब तक कोई वैकल्पिक मार्ग है तो वो है विजयनगर से बसुकेदार-नागजगई होते हुए गुप्तकाशी पहुंचना लेकिन यहाँ समस्या ये है कि यहाँ से जाने में आम जनता को लगभग 30 किमी ज्यादा चलना होता है जो अपने आप में काफी मुश्किल तो है ही साथ ही आम जनता का समय और पैसा दोनों बरबाद होता है। पर अगर सरकार इस मार्ग पर वाकई कोई सबसे अच्छा विकल्प ढूंढ़ने का प्रयास करती है तो वो यह होगा कि विजयनगर से हाट गांव तक आने वाली सड़क को आगे बढ़ाते हुए बीरों गांव तक मिलाया जाए जो उसके बाद बश्टी गांव तक होकर आती है। उसके बाद डमार गाड़ पर सिर्फ एक सड़क पुल का निर्माण होना होगा। यानी अगर डमार गांव पर बस एक पुल का निर्माण कर दिया जाए और कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की कर्मभूमि पांवलिया में आधा किलोमीटर रोड तैयार की जाये तो वो डमार गांव तक जाने वाली सड़क तक मिलाया जा सकता है और क्यूंकि अभी भीरी से भी डमार गांव की रोड बन चुकी है और उसपर अब बस एक पुल भी निर्माणाधीन है। तो उसके बाद सभी स्थानीय और तीर्थयात्री लोग आसानी से बांसवाड़ा के डेंजर जॉन से बच सकते हैं और वो सीधे विजयनगर से भीरी पहुँच सकते हैं।