पहाड़ का शेर अजीत डोभाल एक नाम ही काफी है जिसे सुनकर दुश्मन देश भी थरथर कापं जाते हैं। साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश का 5वां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था। अजीत डोभाल छह साल पाकिस्तान में मुसलमान बनकर भी रह चुके हैं। डोभाल 1988 में कीर्ति चक्र प्राप्त करने वाले पहले पुलिस अधिकारी भी हैं। अजीत डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार हुआ। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए। वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए।
पिछली सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे अजीत डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर पांच साल के लिए नेशनल सिक्यॉरिटी ऐडवाइजर (एनएसए) नियुक्त कर दिया गया है। इसके अलावा उन्हें सरकार में कैबिनेट रैंक भी दी गई है। कैबिनेट में अब उनका कद राज्यमंत्री के बराबर होगा। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आंतकियों के कैपों को नष्ट करने के सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का बड़ा हाथ था। पीओके में अंजाम दिए गए सर्जिकल ऑपरेशन की निगरानी रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और डीजीएमओ ले.जन. रनबीर सिंह कर रहे थे।
अजीत डोभाल ने मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद पर काबू पाने में अहम भूमिका निभाई। साल 1999 में कंधार विमान हाईजैक में सरकार के प्रमुख तीन वार्ताकारों में रहे हैं। अजीत डोभाल ने 1971 से 1999 के बीच 15 हाईजैक की कोशिशों से निपटने में भूमिका निभाई। इन्होने 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर-2 से अहम खुफिया जानकारी जुटाई। अजीत डोभाल ने 1990 में कश्मीर में उग्रवाद पर काबू के लिए जम्मू एवं कश्मीर भेजा गया। अजीत डोभाल के मार्गदर्शन में म्यामार में भी भारतीय सेना ने घुसकर उग्रवादियों को मौत की नींद सुला दिया था। देश की सुरक्षा में अजीत डोभाल के योगदान के देखते हुए उन्हें हिंदुस्तान का ‘जेम्स बांड’ कहा जाता है। बता दें कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की वायुसेना की रणनीति को मूल रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमलीजामा पहनाया था।