कोई भी व्यक्ति आसानी से रुद्रप्रयाग में प्रवेश करने और यहां बाजार में रुकते ही अपनी पहचान बताने के लिए कहता हैलो… मैं पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान मंदिर के पास खड़ा हूँ। कहते हैं समय बलशाली होता है, समय आने पर पल भर में क्या कुछ हो जाए, कोई नहीं जानता। ऐसा ही चारधाम सड़क विकास परियोजना के लिए रुद्रप्रयाग नगर में भी देखा जा रहा है। एक ओर प्राचीन डाट पुल तोड़कर नया पुल का निर्माण चल रहा है, वहीं अब रुद्रप्रयाग की वर्षों पुरानी पहचान नगर के मुख्य बाजार स्थित हनुमान मंदिर को भी तोड़ दिया गया है।
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हनुमान मंदिर टूटने से लोग निराश और मायूस भी हैं तो कई लोग इसे आधुनिक समय की मांग बताते हुए विकास के लिए स्थानीय व्यापारियों द्वारा दिया गया बड़ा त्याग बता रहे हैं। रुद्रप्रयाग नगर में पीपल का विशाल वृक्ष और इसकी छांव में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर नगर की हृदयस्थली के रूप में देखा जाता रहा है। इस स्थान पर हिमालय पुत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा, पूर्व पीएम प्रधानमंत्री के रूप में जवाहर लाल नेहरु, अटल विहारी वाजपेई, इंदिरा गांधी ने सभाएं की है। अब इस स्थान पर महज पीपल का पेड़ है। बताया जा रहा है इसे काटने की भी प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी। इधर मंदिर तोड़ने से पहले नया मंदिर न बनने से स्थानीय जनता एवं व्यापारियों में नाराजगी है।