देवभूमि के होनहार हर फील्ड में प्रदेश के साथ ही देश का नाम रोशन करने में हमेशा आगे खड़े रहते हैं। अब इसी कड़ी में एक और नाम पिछले दिनों जुड़ गया है नितिन सेमवाल का जो मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के पसालत गाँव, लमगौण्डी के रहने वाले है। उन्होंने सबसे बड़ी सफलता तब पायी जब उनकी व उनकी कम्पनी की मेहनत से कोरोना संक्रमण के लिए जांच किट बनायी गयी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् ने 100 प्रमाणिकता के साथ 8-9 मई को अनुमोदित किया है और कोरोना की जांच के लिए बिलकुल उपयुक्त पाया है।
दिल्ली की जनकपुरी -तिलकनगर स्थित प्रोफेशनल बायोटेक कंपनी ( जेनोसेंस) ने कोरोना संक्रमण की जाँच करने की दो किट बनाई हैं जो कि एक शानदार उपलब्धि है। आपको बता दें इससे पहले भी कंपनी ने सार्स, प्लेग और एचआईवी जैसी बिमारियों के लिए किट बनायी थी। बायोटेक क्षेत्र में बरसो से काम कर रही इस कंपनी का अपने अनुसन्धान के लिए भारत में एक बड़ा नाम रहा है। किट बनाने वाले नितिन सेमवाल का कहना है की “ये सपने सच होने जैसा है, जब स्व प्रदीप सिंघल ने ये कंपनी बनायी थी तो उनका उद्देश्य ही भारत में रहकर बीमारियों पर उच्य कोटि के अनुशंधान करने की थी पर सिंघल जी के जल्दी चले जाने के बाद कंपनी की स्थिति खराब हो गयी थी और उन्हें कंपनी को कुछ कर्मचारियों की छटनी करनी पड़ी थी।
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कोविड-19 पर पहले दिन से किट बनाने की कोशिश कर रहे नितिन बताते है कि वैसे तो किट का प्रारूप बहुत पहले तैयार कर लिया था पर समय पर प्रोब न मिलके के कारन कोविड सेम्पल कि जांच करना कठिन था फिर थोड़ा समय भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद से किट कि सत्यता परीक्षा में भी लगा। अब महीने भर के अथाह परिश्रम के बाद ये दिन देखने को मिला जिसका श्रेय कंपनी के सब लोगो का जाता है। कंपनी के किट निर्माण केंद्र पर किट बनाने कि सारी तैयारियां हैं। जब से भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद ने किट को मान्यता दी है कंपनी के लोगों में एक नया संचार हुआ है। उत्तराखंड के नितिन सेमवाल की इस सफल कोशिश के बाद भारत की कोरोना कि लड़ाई को और दृण्डता से लड़ने में सफलता मिली है। ना सिर्फ उत्तराखंड के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी यह बहुत गर्व की बात है।
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