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विश्वविजेता कप्तान धोनी का गाँव आजतक बदहाल, पूरा गाँव खाली होने की कगार पर

महेंद्र सिंह धोनी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं ये वो इंसान हैं जो मिट्टी को भी सोना बना लेते हैं इन्हीं की कप्तानी में भारत ने 2007 का टी-20 विश्वकप और फिर 2011 में विश्वकप खिताब जीता था। जहाँ एक तरफ धोनी पूरे विश्व में भारत का नाम ऊँचा करते रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ उत्तराखंड गठन के 18 साल बाद भी आज तक उनका खुद का गाँव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहा है| हम यहाँ बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले के जैंती तहसील का ल्वाली गांव, महेंद्र सिंह धोनी के गाँव के लोगों ने बताया कि वर्ष 2012 में सड़क की मंजूरी मिल गयी थी और तब सड़क मार्ग पर काम भी शुरू हो गया था लेकिन प्रशासन की हील हवाली के कारण आज तक सड़क नहीं बन पायी है।

गाँव के लोग बताते हैं की धोनी आखिरी बार साल 2004 में अपने गाँव आये थे और तब गाँव में काफी आबादी रहती थी पर अगर वर्मान हालात पर नजर डालेंगे तो गाँव में 18 से लेकर 45 के बीच का एक भी युवक नहीं मिलेगा सब रोजगार और मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण गाँव छोड़ते जा रहे हैं और वर्तमान में गाँव में केवल 46 लोग ही रह रहे हैं जिनमें 33 महिलाएँ और 13 पुरुष हैं। पर अगर गौर पिछले 12 सालों पर करैं तो अधिकाँश आबादी गाँव छोड़कर जा चुकी है। बात अगर महेंद्र सिंह धोनी के परिवार की करी जाए तो वो आज से लगभग 40 साल पहले गाँव छोड़कर रांची चले गये थे वो भी रोजगार के लिए ही रांची गये थे और फिलहाल गाँव में इनके चाचा-ताऊ रह रहे हैं। पर ये स्थिति चिंताजनक है जब एक सुपरस्टार खिलाड़ी का खुद का गाँव आज तक मूलभूत जरूरतों के लिए तरस रहा हो तो बाकी गांवों और प्रदेश की स्थिति समझी जा सकती है।