उत्तराखंड में डॉक्टरों और अस्पताल प्रबन्धन की लगातार ऐसी घटनायें सामने आ रही हैं जिसके कारण इनकी आये दिन किरकिरी होती रहती थे, और अपनी किरकिरी कराने में भी देहरादून का दून महिला अस्पताल सबसे आगे है। पिछले कुछ समय से यहाँ के लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनसे लोगों का इस हॉस्पिटल से भरोसा उठता जा रहा है अभी कुछ दिनों पहले अस्पताल में फर्श पर डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा की मौत हो गयी थी। कोटद्वार निवासी पंकज ने बताया कि उसकी पत्नी विनीता आठ माह की गर्भवती है और कोटद्वार में अल्ट्रासाउंड जांच कराने पर पता चला कि पेट में आठ दिन पूर्व बच्चा मर चुका है जिसके बाद उसे दून महिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
रविवार रात को पंकज ने पत्नी विनीता दून महिला अस्पताल भर्ती कर दिया था, आरोप है कि विनीता को अस्पताल प्रबंधन ने बेड तक उपलब्ध नहीं कराया। इससे दर्द से कराहती महिला डॉक्टरों के आगे ऑपरेशन के लिए गिड़गिड़ाती रही, लेकिन डॉक्टरों ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी वहीं जब यह मामला मीडिया के सामने आया तो आनन-फानन में शुक्रवार को डॉक्टरों ने महिला का आपरेशन किया इसके बाद मृत बच्चा पिता को सौंप दिया गया।
ऑपरेशन के बाद से महिला की हालात नाजुक बनी हुई है जिसके कारण महिला को तीन दिन तक चिकित्सकों की गहन निगरानी में रखा जाएगा। इस पूरी घटना पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी जोशी ने कहा है कि महिला में खून कमी के चलते उसका ऑपरेशन नहीं किया जा रहा था, उसे छह यूनिट ब्लड चढ़ाया गया और इसके बाद ही शुक्रवार को ऑपरेशन कर बच्चे का शव परिजनों को सौंप दिया गया है।